बदला नाम, अब आकाशवाणी संगीत सम्मेलन को कहा जाएगा पंडित भीमसेन जोशी आकाशवाणी संगीत सम्मेलन

दूरदर्शन और ऑल इंडिया रेडियो ने पंडित भीमसेन जोशी के विशाल संगीत खजाने के दरवाजे को आम जनता के लिए खोल दिया है। ये रिकॉर्डिंग अब यूट्यूब पर उपलब्ध हैं। इसके अलावा सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय इन्हें देशभर के बड़े दर्शक वर्ग तक इन्हें पहुंचाने का प्रयास कर रहा है।”

पुणे। जब हमारा समाज किसी का सम्मान करता है, उसे सरकार भी मान्यता देती है, तो उसक परिणति बेहद सकारात्मक होती है। जिस प्रकार से आकाशवाणी संगीत सम्मेलन को अब भारत रत्न पंडित भीमसेन जोशी आकाशवाणी संगीत सम्मेलन की संज्ञा दी गई है, उससे कला-संगीत के क्षेत्र में बेहद सकारात्मक संदेश जाएगा। इसकी घोषणा केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय की ओर से कर दी गई है।

केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावडेकर ने पुणे (महाराष्ट्र) में आयोजित पंडित भीमसेन जोशी शताब्दी स्मारक समारोह में इसकी घोषणा की। इस अवसर पर वरिष्ठ नेता शरद पवार और विनय सहस्रबुद्धे भी उपस्थित थे। वहीं इस मौके पर पंडित जोशी के शिष्य उपेंद्र भट और आनंद भाटे ने प्रदर्शन किया।

अपने नियमित संगीत प्रसारणों के अलावा, आकाशवाणी संगीत सम्मेलन के आयोजन से ऑल इंडिया रेडियो ने अपने शास्त्रीय संगीत के श्रोताओं का प्यार प्राप्त किया है। इस सम्मेलन में देशभर के प्रसिद्ध कालाकार अपनी प्रस्तुति देते हैं। पंडित भीमसेन जोशी को साल 2009 में भारत रत्न पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। पंडित भीमसेन जोशी का जन्म चार फरवरी, 1922 को कर्नाटक के धारवाड़ स्थित गडग में हुआ था। पुणे उनकी कर्मभूमि थी, जहां उन्होंने गायन के ख्याल रूप के बतौर प्रमुख प्रतिपादक प्रसिद्धि प्राप्त की। इसके अलावा उन्हें भक्ति संगीत- भजन और अभंगों के उनके लोकप्रिय गायन के लिए भी ख्याति मिली।

प्रकाश जावडेकर ने कहा, “दूरदर्शन और ऑल इंडिया रेडियो ने पंडित भीमसेन जोशी के विशाल संगीत खजाने के दरवाजे को आम जनता के लिए खोल दिया है। ये रिकॉर्डिंग अब यूट्यूब पर उपलब्ध हैं। इसके अलावा सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय इन्हें देशभर के बड़े दर्शक वर्ग तक इन्हें पहुंचाने का प्रयास कर रहा है।” केंद्रीय मंत्री ने बताया, “संगीत के कई रूप हैं और इसमें हमें प्रेरित करने की शक्ति है। पंडित भीमसेन जोशी के आशीर्वाद की वजह से आर्य संगीत प्रसारक मंडल बिना किसी विराम के 67 वर्षों तक काम कर सका। पंडित जी सभी के प्रिय थे। जिस तरह उन्होंने विदेशों के आयोजनों में प्रदर्शन किया, उसी तरह जीवन के सभी स्तर के लोगों के लिए किया।”