Covid Update : कोरोना की दूसरी लहर से है बचना, तो पहनना होगा मास्क

जरूरी है कि हर कोई मास्क पहनने। कोरोना से बचाव के लिए मास्क सबसे कारगर हथियार है। इसके बाद स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से और आपके डाॅक्टर जैसा जरूरी स्वास्थ्य व्यवहार करने के लिए आपसे कहते हैं, आपको उसका पालन करना चाहिए।

नई दिल्ली। बीते कुछ दिनों से जिस प्रकार कोरोना संक्रमण में तेजी देखी जा रही है, वह चिंताजनक है। तमाम विशेषज्ञ लोगों से मास्क पहनने और कोरोना के लिए उचित व्यवहार करने की बात कर रहे हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय (MoHFW) के सचिव राजेश भूषण भी लोगों से कोरोना के लिए जरूरी व्यवहार के पालन की हिदायत दे रहे हैं। बार-बार उन्होंने जनता से आग्रह किया है कि सरकार के मानदंडों पर जो योग्य हैं, वे तुरंत जाकर वैक्सीन लगवाएं और मास्क पहनें। वैक्सीन लगाने के बाद उसका सर्टिफिकेट जरूर लें, यह आपका अधिकार है और आपके लिए जरूरी है।
दरअसल, भारत कोविड -19 (Covid19) की दूसरी लहर को देख रहा है। पिछले साल अक्टूबर के बाद से यह पहला मौका है जब बीते सात दिनों से कोरोना संक्रमण की संख्या में वृद्धि हुई है। दैनिक मामले 50,000 को पार कर गया है। अब तक कुछ संख्या की बात करें, भारत में यह बीमारी अब तक लगभग 12 मिलियन लोगों को प्रभावित की और और 1,60,000 से अधिक लोगों की मौत हुई है।
देश में कोरोना वायरस की दूसरी लहर की चर्चा तेज है, लेकिन सिर्फ महाराष्ट्र में। केवल महाराष्ट्र ऐसा राज्य है, जहां कोरोना के नए मामलों में बेतहाशा वृद्धि हो रही है। महाराष्ट्र एकमात्र राज्य हैं, जहां कोरोना के तीनों स्ट्रेन सामने आए हैं। राज्य में यूके स्ट्रेन के 56, दक्षिण अफ्रीकी स्ट्रेन के 5 और ब्राजीली स्ट्रेन का एक केस है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने महाराष्ट्र में ही नया डबल म्यूटेंट वैरिएंट मिलने की भी पुष्टि की है। पंजाब में एक डबल म्यूटेंट वायरस का भी पता चला है, जिसका अर्थ है कि दो उत्परिवर्तन जो महत्वपूर्ण दिखते हैं, अब एक संस्करण में पाए जाते हैं।

कोरोना (Covid19) एक्सपर्टस कहते हैं कि लगता है कि लोग भूल गए हैं कि वायरस अभी भी यहां है। उन्होंने मास्क पहनना बंद कर दिया, उन्हें पहनने वालों ने उन्हें ठीक से नहीं पहना। वे बड़े सामाजिक समारोहों, जन्मदिन पार्टियों, शादियों, छुट्टियों के लिए यात्रा का आयोजन करने लगे। इसने वायरस को फैलने में मदद की।

एक महीने तक, मामलों में गिरावट आ रही थी, सबसे कम देश दर्ज किए गए फरवरी के पहले सप्ताह में लगभग 8500 मामले थे। पिछले साल के मध्य में वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) द्वारा एक ऐसा सीरो-सर्वेक्षण किया गया था, जिसमें सीएसआईआर के कर्मचारियों और उनके परिवारों-छात्रों, सुरक्षा गार्डों, स्वच्छता कर्मचारियों, हाउसकीपिंग स्टाफ – ने अपने 37 प्रयोगशालाओं और केंद्रों का परीक्षण किया था। एंटीबॉडी के लिए। इस समूह में न केवल सभी सामाजिक-आर्थिक वर्गों के प्रतिनिधि थे, बल्कि विभिन्न संस्कृतियों और जनसांख्यिकी के लोग भी थे।

सर्वेक्षण में सामने आए निष्कर्षों से पता चला है कि देश में कुल मामलों की संख्या संभवतः 100 मिलियन की रेंज में थी, जो कि रिपोर्ट किए गए मामलों से लगभग 30 गुना अधिक है। सर्वेक्षण में यह भी कहा गया है कि 70 प्रतिशत से अधिक लोग जिनके पास एंटीबॉडी थे, ने संक्रमण के किसी भी लक्षण का विकास नहीं किया। इसके अलावा, स्पर्शोन्मुख संक्रमण वाले 20 प्रतिशत लोगों में एंटीबॉडी नहीं हो सकते हैं। फिर अन्य सिद्धांत थे कि आनुवांशिकी, बीसीजी टीकाकरण, और पहले अन्य कोरोनवीरस के संपर्क ने अधिकांश भारतीयों को गंभीर बीमारी को पकड़ने से बचाया।

आईजीआईबी, नई दिल्ली के निदेशक डाॅ अनुराग अग्रवाल कहते हैं कि जिन देशों ने कोरोना की दूसरी लहर देखी है, उन्हें नियंत्रित करना मुश्किल हो गया। ब्राजील के एक शहर मनौस का इस साल जनवरी में तेजी से प्रसार हुआ, जिसके कुछ ही महीने बाद 76 प्रतिशत आबादी एंटीबॉडी के साथ मिली। डॉ अनुराग अग्रवाल कहते हैं कि इसके कई कारण हो सकते हैं, क्योंकि यह वृद्धि हो सकती है। शरीर में एंटीबॉडीज का स्तर समय के साथ कम होता जाता है या संक्रमण का कारण बन सकता है।

भारत में जिस प्रकार से कोरोना (Covid19) ने विकराल रूप धरा है, उसमें क्या किया जाए ? अधिसंख्य लोगों के मन में यही सवाल है। इस संबंध में एईएफआई कमेटी के डाॅ एनके अरोडा कहते हैं कि यह चिंताजनक है। हमारे पास यह जानकारी आई है कि नया म्यूटेंट आया है। तमाम संस्थाएं इसका अध्ययन कर रही है। इसकी संख्या का पता लगाया जा रहा है। डाॅ एनके अरोडा ने कहा कि जब एक वायरस किसी व्यक्ति के शरीर में प्रवेश करता है, तो वह खुद की लाखों प्रतियां बनाता है। और इस प्रक्रिया में, यह परिवर्तन करता है। ये म्यूटेंट कम गंभीर या अधिक गंभीर, कम संक्रमणीय या अधिक संक्रमणीय हो सकते हैं। इतने सारे उत्परिवर्तन बीमारी को और गंभीर बना सकते हैं। ये म्यूटेंट भी टीकों को कम प्रभावी बना सकते हैं। डाॅ एनके अरोडा ने कहा कि इन परिस्थितियों के लिए जरूरी है कि हर कोई मास्क पहनने। कोरोना से बचाव के लिए मास्क सबसे कारगर हथियार है। इसके बाद स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से और आपके डाॅक्टर जैसा जरूरी स्वास्थ्य व्यवहार करने के लिए आपसे कहते हैं, आपको उसका पालन करना चाहिए।