नई दिल्ली। म्यूटेंट वायरस शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता या इम्यूनिटी को कम कर सकता है, यह वायरस के प्रति वैक्सीन और दवा के जरिए शरीर में बनने वाले रक्षा कवच की प्रभावकारिता को भी कम कर सकते हैं। लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि कोविड अनुरूपी व्यवहार (CAB), संक्रमण के खतरे से बचाने के लिए ढाल का काम करता है। डॉ. अरूण शर्मा कहते हैं कि थ्री लेयर मास्क, लगातार हाथ धोना, सैनेटाइज करना और निर्धारित दूरी बनाकर रखना, भीड़ वाली जगह पर जाने से बचना और विशेष रूप से कमरे के अंदर भी इन बातों का ध्यान रखना यह सभी बातें अब भी कोरोना (COVID19) संक्रमण को बढ़ने से रोकने और संक्रमण से बचाव का असरदार उपाय हैं।
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ बायोमेडिकल जीनोमिक्स की निदेशक और इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस बंगलूरू की निदेशक डॉ. सौमित्रा दास ने बताया कि प्रत्येक वायरस संक्रमित व्यक्ति के शरीर में अपने जैसी कई प्रतियां बनाते करते हुए उत्परिवर्तित या म्यूटेट करता है। वायरस तेजी से अपनी संख्या बढ़ाते हैं और जब यह अपने ही तरह की कई अन्य कॉपी (प्रतियां) बना रहे होते हैं तो संभव है कि प्रत्येक नई कॉपी बिल्कुल पहले जैसी ही हो, ऐसा कोई भी छोटा या बड़ा बदलाव जो वायरस की संरचना को बदल दे उसे म्यूटेशन कहा जाता है। एक वायरस में इस तरह के कई सौ और हजार म्यूटेशन हो सकते हैं।
डॉ. दास कहती हैं कि वायरस में सभी तरह के बदलाव वैज्ञानिकों के लिए चिंता का विषय नहीं होते हैं। कौन सा म्यूटेंट अधिक घातक या खतरनाक हो सकता है, इसका पता लगाने के लिए वह वायरस की जीनोम सिक्वेंसिंग करते हैं, ध्यान देने वाली बात यह होती है कि क्या म्यूटेंट वायरस को अधिक संक्रामक या विषैला बना रहा है क्या म्यूटेशन इतनी अधिक क्षमता का है कि वह वायरस के प्रति दवाओं और वैक्सीन की प्रभावकारिता को कम कर सकता है? यदि ऐसा है तो म्यूटेंट को वेरिएंट ऑफ कंसर्न माना जाता है।
कम्यूनिटी मेडिसिन विशेषज्ञ और आईसीएमआर (ICMR) के जोधपुर स्थित एनआईआईआरएनसीडी के निदेशक डॉ. अरूण शर्मा ने बताया कि वैज्ञानिकों का कहना है कि कोरोना वायरस में हुए म्यूटेशन का असर इलाज और वैक्सीन की प्रभावकारिता को कम नहीं कर रहा है। आज हम तकनीकि रूप से इतने सक्षम हैं कि दवा या वैक्सीन को कम समय में म्यूटेंट से लड़ने के लिए तैयार कर सकते हैं, लेकिन यह उनकी प्रभावकारिता के लिए खतरा हो सकता है। अधिकांश मामलों में हमने म्यूटेशन को हराया है। लेकिन कोरोना के मामलों में तेजी से बढ़ोतरी हुई और इस गति के कारण वैज्ञानिकों को इतना समय नहीं मिल पा रहा कि वह हर तरह के म्यूटेशन को पहचान सकें, इसलिए कोरोना अनुरूपी व्यवहार को ही कोरोना से लड़ने करने के लिए सबसे कारगर हथियार माना गया है।