COVID19 Behaviour : कोरोना से जंग में ये है समाज का दायित्व

समाज से राज्य और राज्य से देश प्रभावित होता है। सरकारी स्तर पर जो कार्य होने हैं, वह हो रहा है। हर नागरिक और समाज का दायित्व है कि वह कोरोना उपयुक्त व्यवहार का पालन करे।

नई दिल्ली। कोरोना (COVID19) से जूझते हुए पूरी दुनिया को करीब डेढ साल हो चुका है। आज भी कई देश इससे त्राहि-त्राहि कर रहे हैं। भारतीय परिप्रेक्ष्य में बात करें, तो इसका असर देश के कई राज्यों में और केंद्रशासित प्रदेश में है। कई राज्य अनलाॅक की प्रक्रिया शुरू कर चुके हैं, लेकिन डर वहां भी है। कई राज्यों ने लाॅकडाउन की अवधि कुछ सप्ताह के लिए बढा दी है। इस समयावधि में स्वास्थ्य विशेषज्ञ लगातार कोरोना उपयुक्त व्यवहार (COVID19 Behaviour) करने का आग्रह करते हैं।
लाॅकडाउन कोरोना संक्रमण का इलाज नहीं है, बल्कि एक सरकारी अनुशासनात्मक नीति है। जिससे संक्रमण की दर को रोका जा सकता है। बीते साल केंद्र सरकार की ओर से देशव्यापी लाॅकडाउन की घोषणा हुई, तो इस वर्ष केंद्र सरकार की सलाह पर राज्यों ने अपने सीमा क्षेत्रों में पाबंदी लगाई। लोगों ने नियमों का पालन किया, तो संक्रमण की दर में कमी आ रही है। इन नियमों के साथ ही केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय (MoHFW) की ओर से समय-समय पर कोरोना उपयुक्त व्यवहार करने की हिदायत दी जाती है।
इंसान सबसे समझदार प्राणी है। समय के साथ सामंजस्य करने की इसमें गजब की क्षमता है। हम सामाजिक प्राणी हैं, मगर कोरोना ने हमारी स्वभाविक गतिविधियों को जानलेवा कमजोरी में बदल दिया है। हमें अपनी पुरानी दिनचर्या और आदतों को अब नई आदतों और तौर-तरीकों से बदलना होगा। अपने आचरण को इस महामारी के हिसाब से ढालना होगा। तो सवाल उठता है कि हमें कैसा व्यवहार करना चाहिए? आज जब कोरोना के कारण हाथ मिलाना और गले लगना असामाजिक माना जा रहा है, तब भी हम कैसे सामाजिक रह सकते हैं?
इसका एक ही जवाब है कि स्वास्थ्य विशेषज्ञों की ओर से जो सलाह दी जा रही है, उसका पालन , आप सामाजिक दायित्व का निर्वहन कर रहे हैं। देश के जाने-माने डाॅक्टर्स और वैज्ञानिक भी देश के लोगों से कोरोना से जंग लडने के लिए मास्क, सेनिटाइजर, समय-समय पर हाथ धोने, दो गज की दूरी आदि नियमों का पालने करने की सलाह देते हैं।
हमारे समाज में जब तक यह जागृति हर स्तर पर नहीं पहुंचेगी, हम कोरोना को पूरी तरह से नहीं हरा सकते हैं। बचपन से लोगों को स्कूल में नागरिक कर्तव्य के बारे में पढाया जाता है। सामाजिक दायित्व (Social Responsbilites) को समझाया जाता है। सही अर्थोें में कोरोना महामारी के दौरान सामाजिक दायित्व का पालन करना बेहद जरूरी है।

हमारे समाज में एक तबका ऐसा है, जो हर बात में यूरोपीय देशों और अमेरिका का उदाहरण देकर ही बात करना और समझना चाहता है। उन लोगों को हाल ही में आई एक रिपोर्ट को ध्यान में रखना चाहिए। बीते दिनों आई इस रिपोर्ट में यह बताया कि अमेरिका में 36 प्रतिशत से अधिक लोगों ने कोरोना वैक्सीन की दोनों डोज ले ली। इस दौरान उन लोगों ने कोरोना उपयुक्त व्यवहार का पालन किया। उसके बाद सरकार ने ऐसे लोगों को मास्क (Mask) पहनने की छूट दे दी। वे सामान्य जीवन में आ गए।
अब सवाल उठता है कि क्या हमारा समाज ऐसा नहीं कर सकता है ? भारत बहुत ही अधिक घनी आबादी वाला देश है। खासकर दिल्ली, मुंबई जैसे महानगरों में कई जगहों पर एक-एक घर या यहां तक कि एक कमरे में कई लोग एक साथ रहते हैं। कुछ बडे शहरों में भी यही स्थिति है। आप जब बाहर जब जाएं, उस समय मास्क अनिवार्य रूप से पहनें। उसके बाद जब घर में हों और लोगों की संख्या अधिक हो, तो मास्क पहनने से कोई नुकसान नहीं है, इससे फायदा ही होगा, क्योंकि संक्रमण इस तेजी से फैल रहा है कि अब पूरे के पूरे परिवार संक्रमित हो रहे हैं।