COVID19 Update : कोरोना से घबराने की जरूरत नहीं है, कंफिडेंस के साथ मुकाबला करें

वायरस कुछ विशेष परिस्थिति में मस्तिष्क की क्रियाशीलता को भी प्रभावित कर सकता है, यह इस बात पर भी निर्भर करता है कि मरीज का सामाजिक दायरा कितना बेहतर है, जो उसे आइसोलेशन के समय से उबरने में मदद करते हैं, यह सभी बातें मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव डालती हैं।

नई दिल्ली। बीते करीब दो महीने से लोगों का वास्ता कोरोना (COVID19) की दूसरी लहर से है। तीसरी लहर की आशंका है। लोग डरे हुए हैं। न जाने तीसरी लहर में क्या होगा ? विशेषज्ञों का कहना है कि कोरोना के खिलाफ जंग में आत्मविश्वास की बेहद जरूरी है। आपको यह भरोसा होना चाहिए कि यह जंग भी आप जीत लेंगे। इस यकीन के साथ कोरोना के दौरान अपना व्यवहार रखें।

निमहंस (NIMHANS) बंगलूरू में सामाजिक मनोचिकित्सा विभाग के प्रोफेसर और साइक्लोजिकल सपोर्ट इन डिजास्टर मैनजमेंट प्रमुख डॉ. के सेकर (Dr K Sekar) कहते हैं कि तनावयुक्त माहौल में अपनी भावनाओं को जाहिर करना जरूरी है और यह सामान्य प्रक्रिया है, सबसे पहले तो लोग खुद बहुत सारे खबरों के प्लेटफार्म के जरिए नकारात्मक समाचारों को एकट्टा करते हैं, नकारात्मक खबरों से खुद को कैसे बचाना है, इसका चयन आप खुद कर सकते हैं। प्रमाणिक और सभी खबरों की जानकारी के लिए दिन में एक बार आधिकारिक सूचना की ही जानकारी लें।

उन्होंने कहा कि दूसरा यह भी जरूरी है कि महामारी के समय में भी आप खुद को अपने काम में व्यस्त रखें, इससे आपका ध्यान नकारात्मक खबरों की तरफ नहीं जाएगा और ध्यान खबरों की तरफ से हटेगा। तीसरा यह सही समय है जब आप अपने परिवार के साथ अच्छा समय व्यतीत कर सकते हैं, यदि काम पूरा हो गया है तो खुद को ऐसे कामों में व्यस्त रखें जिसे करना आपको अच्छा लगता है। आप अपने पुराने मित्रों से वुर्चअली जुड़ सकते हैं, उन्हें खुश करने वाले संदेश भेज सकते हैं, कोई नया शौक पूरा कर सकते हैं परिजनों के साथ मिलकर कुछ रचनात्मक कर सकते हैं। ऐसे कुछ छोटे लेकिन महत्वपूर्ण तरीके हैं जिससे आप महामारी की दूसरी लहर के तनावपूर्ण माहौल में भी सामान्य रह सकते हैं।

डॉ. के सेकर (Dr K Sekar) कहते हैं कि तनाव, डर और चिंता का असर अलग अलग तरह से पड़ता है। चिंता के कुछ सामान्य असर संक्रमण, मृत्यु, नींद में कमी, उदास रहना, उम्मीद खत्म हो जाना, अपनों से बिछड़ने का डर, बहुत अधिक गुस्सा आना, अल्कोहल का सेवन बढ़ाना, तंबाकू या अन्य नशे का शिकार होना आदि व्यवहार तनाव की गंभीर स्थिति हो सकते हैं। केवल कोविड के मरीज ही नहीं सामान्य लोग भी ऐसी दुविधा का सामना कर रहे हैं, जिसमें वो भविष्य की चिंता, एकाग्रता की कमी और याद्दाश्त कम होने जैसे समस्या का सामना कर रहे हैं, ऐसा तब होता है जब हम मानसिक और शारीरिक रूप से बहुत थक जाते हैं और किसी एक चीज पर ध्यान एकाग्रित नहीं कर पाते। तनाव जब नियंत्रण से बाहर हो जाता है तो यह शरीर से स्त्रावित होने वाले हार्मोन्स को अनियंत्रित कर देता है जो मस्तिष्क के सोचने समझने की क्षमता को प्रभावित करते हैं। यह सही है कि महामारी ने सभी को प्रभावित किया है, लेकिन सभी को एक दूसरे की जरूरत भी है, बहुत से मामलों में हम एक दूसरे की मदद कर सकते हैं। आप अपने दोस्तों और सहयोगियों से बात करें, उनकी समस्या सुनें उसका समाधान करने की कोशिश करें, मदद के लिए उनसे वुर्चअली जुड़े, ऐसा करके आप तनाव को काफी हद तक कम कर सकते हैं।