शिवालयों में जारी है श्रद्धालुओं की भीड़, कोरोना नियमों का नहीं है ख्याल

भगवान शिव का अतिप्रिय महीना है सावन। कोरोना के दौर में कई जगह कांवड़ यात्रा भले ही प्रतिबंधित हो, लेकिन मंदिरों में श्रद्धालुओं का आना जाना जारी है। तीसरे सोमवार को शिवालयों में काफी भीड़ देखी जा रही है।

नई दिल्ली। सावन के पवित्र मास का आज तीसरा सोमवार है। देश के अलग-अलग हिस्सों में श्रद्धालु नजदीक के शिवालयों में भगवान शिव की पूजा अर्चना के लिए सुबह से ही जा रहे हैं। कुछ प्रसिद्ध मंदिरों में थोड़ी-बहुत कोरोना प्रोटोकॉल का पालन कराया जा रहा है। अधिकतर मंदिरों में लोग नियमों की धज्जियां उड़ा रहे हैं। विश्वप्रसिद्ध उज्जैन के महाकाल मंदिर में बाहर के श्रद्धालुओं की आने की मनाही कर दी गई हैं।

सावन के तीसरे सोमवार के दिन बड़ी संख्या में श्रद्धालु वाराणसी के काशी विश्वनाथ मंदिर में दर्शन करने पहुंचे। एक श्रद्धालु ने बताया, “सभी राज्यों से काफी संख्या में लोग यहां आए हैं। दर्शन करने के लिए कल रात से लोग लाइन में लगे हुए हैं।”सोमवार के दिन श्रद्धालुओं ने प्रयागराज के मनकामेश्वर मंदिर में पूजा की। वृंदावन के बांके बिहारी मंदिर में श्रद्धालुओं ने सोशल डिस्टेंसिंग का उल्लंघन किया।


पंडितों का कहना है कि आज का सोमवार सुख-खुशी और आर्थिक वैभव प्रदान करने वाला है। अगर आज शिवभक्त भोलेनाथ की भांग, धतूरा और शहद से पूजा करें, तो उन्हें शक्ति, स्वास्थ्य और हर तरह का सुख प्राप्त होगा।सावन के प्रत्येक सोमवार पर शिवपुराण और शिव चालीसा का पाठ करना भी श्रेयस्कर होता है।जो लोग आज उपवास रखते हैं,उन्हें तो आज के दिन जरूर शिवपुराण और शिव चालीसा का पाठ करना चाहिए, ऐसा करने से उनकी हर इच्छा पूरी होती है।

ये मंत्र हैं भगवान शिव को अतिप्रिय

ऊँ महाशिवाय सोमाय नम:।

‘ॐ नमः शिवाय शुभं शुभं कुरू कुरू शिवाय नमः ॐ’ ॐ ब्रह्म ज्ज्ञानप्रथमं पुरस्ताद्विसीमतः सुरुचो वेन आवः|

स बुध्न्या उपमा अस्य विष्ठाः सतश्च योनिमसतश्च विवः||

नागेंद्रहाराय त्रिलोचनाय भस्मांग रागाय महेश्वरायनित्याय शुद्धाय दिगंबराय तस्मे न काराय नम: शिवाय:॥

मंदाकिनी सलिल चंदन चर्चिताय नंदीश्वर प्रमथनाथ महेश्वरायमंदारपुष्प बहुपुष्प सुपूजिताय तस्मे म काराय नम: शिवाय:॥

शिवाय गौरी वदनाब्जवृंद सूर्याय दक्षाध्वरनाशकाय| श्री नीलकंठाय वृषभद्धजाय तस्मै शि काराय नम: शिवाय:॥

अवन्तिकायां विहितावतारं मुक्तिप्रदानाय च सज्जनानाम्। अकालमृत्यो: परिरक्षणार्थं वन्दे महाकालमहासुरेशम्।।