नई दिल्ली। सर्दी का मौसम जैसे जैसे आती है, राजधानी दिल्ली को प्रदूषण की समस्या से दो-चार होना पड़ता है। कारण दिल्ली के कुछ इलाकों सहित हरियाणा और उत्तर प्रदेश के किसानों द्वारा धान की पराली को जलाना। लेकिन अब दिल्ली सरकार की ओर से ऐसा तरीका इजाद किया गया है कि अधिक चिंता की बात नहीं है।
शुक्रवार को स्वयं दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि पिछली बार दिल्ली में लगभग 300 किसानों ने बायो डी-कंपोजर घोल अपनाया था और 1950 एकड़ में इसे डाला गया था। इस बार 4200 एकड़ में ये घोल डाला जा रहा है और 844 किसान इसका इस्तेमाल कर रहे हैं।
असल में, केजरीवाल ने दक्षिण पश्चिम दिल्ली के खरखरी नहर गांव में पूसा जैव अपघटक की तैयारियों का आगाज करते हुए कहा, धान की पराली अब कोई समस्या नहीं है…हम सभी राज्यों से अपने किसानों को यह सस्ता घोल उपलब्ध कराने की अपील करते हैं, जैसा दिल्ली ने किया है। उन्होंने कहा कि केंद्र के वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग ने भी जैव अपघटक की सफलता को माना है और पंजाब, हरियाणा तथा उत्तर प्रदेश को इसका इस्तेमाल करने का निर्देश दिया।
दिल्ली में किसानों को इस साल भी मिलेगा पराली का समाधान, नजफ़गढ़ केंद्र पर बायो डी-कम्पोजर घोल बनाने की प्रक्रिया शुरु | LIVE https://t.co/PfqcsrP5BO
— Arvind Kejriwal (@ArvindKejriwal) September 24, 2021
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने शुक्रवार को कहा कि धान की पराली अब कोई समस्या नहीं है और उन्होंने पड़ोसी राज्यों से फसलों के अवशेष का प्रबंधन करने के लिए अपने किसानों को पूसा द्वारा बनाए गए जैव अपघटक उपलब्ध कराने का अनुरोध किया।
पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कहा कि दिल्ली सरकार पांच अक्टूबर से खेतों में इस घोल का छिड़काव करना शुरू करेगी। अधिकारियों ने बताया कि उत्तर प्रदेश 10 लाख एकड़, पंजाब पांच लाख एकड़ और हरियाणा एक लाख एकड़ की भूमि पर जैव अपघटक का इस्तेमाल करेंगे।