कई स्वदेशी टीकों का विकास भारत की वैज्ञानिक क्षमता को दर्शाता है: डॉ मनसुख मंडाविया

मजबूत राजनीतिक प्रतिबद्धता और समन्वय से टीकाकरण में मिली ऐतिहासिक उपलब्धि। केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ मनसुख मंडाविया ने भारत के कोविड-19 टीकाकरण कार्यक्रम पर प्रकाश डालने वाले प्रतिस्पर्धात्मकता संस्थान की रिपोर्ट जारी की।

नई दिल्ली। केन्द्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री डॉ. मनसुख मंडाविया ने भारत के कोविड टीकाकरण अभियान की अंर्तराष्ट्रीय रिपोर्ट को जारी की। कोविड19 इंडियाज वैक्सीन डेवलपमेंट स्टोरी’ और ’इंडियाज कोविड19 वैक्सीनेशन एडमिनिस्ट्रेशन जर्नी’ शीर्षक वाली दोनों रिपोर्ट में भारत के कोविड19 वैक्सीन विकास और टीकाकरण के प्रयासों की सफलता में योगदान के बारे में बताया गया है।
इसके अलावा रिपोर्ट इस बात की विस्तृत जानकारी देती है कि किस तरह स्वदेशी टीकों का निर्माण किया गया। वैक्सीन उत्पादन के लिए बजट का अनुमोदन, प्रोटोकॉल आदि जो सुरक्षित तरीके से टीकाकरण को सुनिश्चित करता है, आदि पहलूओं को रिपोर्ट में शामिल किया गया है। रिपार्ट में टीकाकरण कार्यक्रम से जुड़े सभी महत्वपूर्ण पहलू, जानकारी और अनुभवों को संकलित किया गया है, जो भविष्य में महामारी प्रबंधन और सार्वजनिक स्वास्थ्य संबंधी विषयों के लिए एक अनुभव के तौर पर काम आ सकते हैं।
इस अवसर पर डॉ. मनसुख मंडाविया ने कहा कि दुनिया के सबसे बड़े टीकाकरण अभियान के रूप में भारत द्वारा किए गए बड़े प्रयासों के इस दस्तावेज को जारी करते हुए मुझे खुशी हो रही है। कई स्वदेशी टीकों के विकास के बाद भारत की वैज्ञानिक क्षमता का विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी लोहा माना है। इसके लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व, हमारे स्वास्थ्य कर्मियों, कार्यकर्ताओं,नागरिकों की सहभागिता, राज्यों और मंत्रालयों के साथ समन्वय से तैयार मजबूत निगरानी नेटवर्क के माध्यम से संक्रमण के प्रसार का पता लगाने में सहायता मिली। इसके साथ ही वायरस का परीक्षण, उपचार करने और महामारी को नियंत्रित करने की क्षमत से कोविड-19 टीकाकरण अभियान को सफलता पूर्वक संचालित किया जा सका।
भारत सरकार के सघन प्रयास के माध्यम से कोविड वैक्सीन के लिए पात्र 1.3 अरब लोगों में अधिकांश लोगों को मुफ्त टीका मुहैया करवाना सुनिश्चित किया गया। इसके लिए राज्य सरकारों के साथ मिलकर समान रूप से टीके का वितरण, टीके के प्रति लोगों की हिचकिचाहट दूर करने (जोकि देश के कुछ क्षेत्रों में देखा जा रहा था) और वैक्सीन के प्रति लोगों में उत्सुकता पैदा करने के प्रभावी प्रबंधन पर काम किया गया। रिपोर्ट सघन आबादी वाले भारत देश में टीकाकरण के सफल संचालन के प्रयासों की सराहना करती है। भारत के टीकाकरण कार्यक्रम का चरणबद्ध दृष्टिकोण, फ्रंट लाइन वर्कर, वरिष्ठ नागरिकों और कोमोरबिडिज समूह वाले लोगों के लिए टीका सबसे पहले आवश्यक आदि इस सभी विषयों को रिपोर्ट में मिसाल के तौर पर प्रमुखता से पेश किया गया है।
रिपोर्ट टीकाकरण के दौरान प्रतिकूल घटनाओं (एईएफआई) के प्रबंधन के लिए स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के प्रशिक्षण और कौशल की दिशा में प्रयासों को भी दर्शाती है। टीकाकरण के लिए भारत में विश्व स्तर की सर्वोत्तम कार्यप्रणाली के रूप में कोविन डिजिटल प्लेटफॉर्म के माध्यम से टीकाकरण सत्र और प्रमाणन पोस्ट-टीकाकरण का डिजिटल शेड्यूलिंग पर प्रकाश डाला है जिसे अन्य देश भारत से सीख सकते हैं।
टीकाकरण सत्रों की गुणवत्ता, टीकाकरण प्रक्रिया के सुचारू प्रबंधन के लिए राष्ट्रीय और उप-राष्ट्रीय स्तर पर स्थापित नियंत्रण कक्षों के माध्यम से कोल्ड स्टोरेज के बुनियादी ढांचे और लॉजिस्टिक्स वास्तविक समय की निगरानी और प्रतिक्रिया का भी इस रिपोर्ट में अध्ययन किया गया है।

विज्ञान में भारत की सफलता की पुष्टि करते हुए, सोशल प्रोग्रेस इंपेरेटिव के सीईओ डॉ. माइकल ग्रीन ने हर मोर्चे पर भारत की प्रतिक्रिया की सराहना की। उन्होंने जोर देकर कहा कि टीका, महामारी के खिलाफ सबसे प्रभावी उपाय है, इससे महामारी के प्रसार को काबू किया जा सकता है और मरीज ठीक हो सकते हैं। हालांकि विश्व स्तर पर फैली महामारी के चलते पैदा हुई अभूतपूर्व आपदा ने सामान्य जिंदगी को तबाह कर दिया और इसके परिणामस्वरूप अनेक लोगों की जान चली गई, बावजूद इसके महामारी ने मनुष्य को इसका मुकाबला करने के लिए दृढ़ संकल्प और इच्छा शक्ति जगाई है।
महामारी के दौरान प्रौद्योगिकी द्वारा निभाई गई महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डालते हुए हार्वर्ड विश्वविद्यालय के डॉ मार्क एस्पोसिटो ने कहा कि भारत ने विविधता के बावजूद, राष्ट्रीय संकट से निपटने के लिए न सिर्फ बेहतर प्रयास किया, बल्कि भविष्य में जन-स्वास्थ्य संबंधी संकट के लिए प्रौद्योगिकी का नये तरीके से इस्तेमाल करने के लिए दुनिया के लिए एक खाका तैयार किया है।
भारत की कुछ अनूठी पहल का जिक्र करते हुए उन्होंने आगे कहा कि कोरोना संक्रमण की रीयल-टाइम ट्रैकिंग और नियंत्रण के लिए ई-गवर्नेंस मोबाइल ऐप की शुरुआत की गई। जिसके परिणाम काफी सकरात्मक रहे। डब्ल्यूएचओ के वैश्विक मानकों के अनुरूप पीपीई किट का स्वदेशी निर्माण और टेस्टिंग स्वाब का स्थानीय तौर पर निर्माण आदि माध्यम से भारत सरकार महामारी नियंत्रण के लिए सफल प्रयास किए गए। कोविन और आरोग्य सेतु जैसे मोबाइल ऐप को अपनाने से देश में नई तकनीक को प्रयोग करने का माहौल बना।
प्रतिस्पर्धात्मकता संस्थान (इंस्टीट्यूट फॉर कंपिटीटिवनेस) के अध्यक्ष डॉ.अमित कपूर ने टीकाकरण की शुरूआत में टीके को लेकर लोगों में झिझक को दूर करने में संचार रणनीति के साथ विज्ञान को मिलाने की अनूठी विशेषता की सराहना की। उन्होंने कहा कि टीकाकरण के दौरान जमीनी स्तर पर ऑनलाइन प्रशिक्षण संचार और लोगों की लामबंदी की पहल से टीकाकरण के प्र्रति व्यवहार में बदलाव आया। इसके अतिरिक्त भारत के सार्वभौमिक टीकाकरण कार्यक्रम के लिए वितरण, लॉजिस्टिक्स और परिचालन समन्वय के लिए एक रैपिड इम्यूनाइजेशन स्किल एन्हांसमेंट (आरआईएसई) ज्ञान और कौशल-निर्माण पैकेज विकसित किया गया था। इस प्रकार एक व्यापक संचार रणनीति ने टीकों के संबंध में लोगों के भ्रम को दूर कर विश्वास सेतू स्थापित करने में अहम योगदान दिया।