Election Letter : विपक्ष को एकजुट करने के लिए ममता ने लिखा नेताओं को पत्र, भाजपा पर सवाल

जिस प्रकार से पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी सहित तमाम बडे विपक्षी राजनीतिक दल को भाजपा के खिलाफ एकजुट होने का आह्वान किया है, उसके कई राजनीतिक मायने निकाले जा रहे हैं।

कोलकाता। पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव (West Bengal Assembly Election 2021 )में रोज नए मामले सामने आ रहे हैं। बुधवार को तृणमूल कांग्रेस (TMC) अध्यक्ष और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Mamata Banarjee) ने विपक्षीदलों ने बडे नेताओं को पत्र लिखा। इस पत्र को सार्वजनिक कर दिया गया। अब इस पर खूब सियासत हो रही है। भाजपा नेताओं ने भी पलटवार किया है।

असल में, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Mamata Banarjee) ने सोनिया गांधी, शरद पवार, एम.के. स्टालिन, तेजस्वी यादव, उद्धव ठाकरे, अरविंद केजरीवाल, नवीन पटनायक को पत्र लिखा है। इस पत्र में उन्होंने लिखा कि मेरा मानना ​​है कि लोकतंत्र और संविधान पर भाजपा के हमलों के खिलाफ एकजुट होकर प्रभावी ढंग से संघर्ष करने का समय आ गया है।

विपक्षी नेताओं को संबोधित इस पत्र में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Mamata Banarjee) ने अपना दर्द बयां करते हुए लिखा है कि हम हर दिन चुनाव आयोग से शिकायत कर रहे हैं लेकिन वे हमारी बात नहीं सुन रहे। वे केवल भाजपा की बातें सुन रहे हैं। ऐसे में भला निष्पक्ष चुनाव कैसे हो।

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Mamata Banarjee) ने एक रैली में कहा कि मेरी कार पर हमला करने की उनकी हिम्मत कैसे हुई। मैं सिर्फ इसलिये चुप हूं क्योंकि चुनाव चल रहे हैं। वरना मैं उन्हें बताती कि उन्होंने कितनी बड़ी गलती की है। मेरे पास कार पर हमला करने वाले गुंडों के वीडियो हैं। बंगाल में चुनाव होने दीजिये। उसके बाद मैं कार्रवाई करूंगी। देखती हूं कि कौन ‘गद्दार’ तुम्हें बचाता है। बचकर कहां जाओगे तुम? दिल्ली, बिहार, राजस्थान या उत्तर प्रदेश। मैं तुम्हें खींचकर यहां (पश्चिम बंगाल) ले आऊंगी।

केंद्रीय मंत्री और भाजपा नेता प्रकाश जावडेकर (Prakash Javedkar) की ओर से कहा गया है कि हताश होने के बाद और पूरी तरह पैरों तले जमीन खिंसक जाने के बाद उन्हे (ममता बनर्जी) यह सब करना पडा है। कभी उन्हें अपना गोत्र याद आया है। कहने लगी मैं हिन्दू हूं। ऐसा नाटक नहीं चलता। अब वह विपक्षी दलों के नेताओं को पत्र लिखी हैं। यह उनका व्यक्तिगत मामला है कि वे किन्हें पत्र लिखें और किसे नहीं।