नई दिल्ली। अभी तक यही कहा जाता रहा कि अभी दोष निर्धारित नहीं हुए और इस तरह महिला कोच की कहीं सुनवाई नहीं हो रही थी । यहां तक कि खेलमंत्री पद से भी हाॅकी के पूर्व कप्तान व खेलमंत्री संदीप सिंह को हटाया नहीं गया। जब मामले ने हरियाणा की भाजपा सरकार की ज्यादा ही किरकिरी करवा दी तब कहीं जाकर नायब बिना सैनी मंत्रिमंडल में से संदीप सिंह को शामिल ही नहीं किया गया । महिला कोच के मामले की इतनी उपेक्षा हरियाणा सरकार को भारी पड़ी और लोकसभा में हार की वजहों में से एक वजह महिला कोच और महिला पहलवानों के साथ यौन शोषण की शर्मनाक घटनायें भी रहीं, अब विधानसभा चुनाव से पहले पहले महिला कोच की सुनवाई एक प्रकार से भूल सुधार की कोशिश है ।
अब यह जनता पर निर्भर करता है कि इस भूल की माफी देती है या नहीं ! वैसे भी हरियाणा सरकार ने पूरे पांच साल खिलाड़ियों की घोर उपेक्षा की । पदक लाओ, नौकरी पाओ नीति भी छोड़ दी और खिलाड़ियों के सम्मान का आयोजन टालती रही । खिलाड़ी सम्मान की राह देखते रहे । अब जाकर मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने यह घोषणा है कि खिलाड़ियों का सम्मान किया जायेगा । सरकारी नौकरियों से भी खिलाड़ियों को नवाजा जायेगा या नहीं, यह अभी तय नहीं ।
पूर्व मुख्यमंत्री व नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा अब हर जनसभा में यह बात जरूर कहते हैं कि कांग्रेस शासनकाल में हरियाणा के युवाओं को ‘खिलाड़ी’ बनाया जबकि भाजपा सरकार ने युवाओं को ‘नशेड़ी’ बनाया । हमने महिला पहलवानों के यौन शोषण का विरोध कर उन्हें मान सम्मान देने की बात की जबकि भाजपा सरकार ने इन्हें जंतर मंतर पर लाठियों से पीटा !
महिला कोच की जब कही़ं सुनवाई नहीं हो रही थी और बार बार उसे ही पुलिस स्टेशन में पूछताछ के लिए बुलाया जाता था, जब उसने मीडिया को आंसू भर कर कहा था कि मुझे यह लगने लगा है कि जैसे मैं ही दोषी हूँ ! मुझे पहले ही किसी सहेली ने कहा था कि यह राह बहुत कठिन है पर मैंने हार नहीं मानी ! इतनी निराश हो गयी थी महिला कोच !
फिर भी संघर्ष जारी रखा । यहां तक कि मकान मालिक तक उससे मकान खाली करवाने के नोटिस देने लगा । यह सब किसके इशारे पर ? यह पब्लिक है, सब जानती है ! यह भी कि बेटी पढ़ाओ का मंत्र देने वाली सरकार पूरी हठधर्मिता और निर्लज्जता के साथ यौन शोषण के लिए चर्चित खेलमंत्री के साथ खड़ी रही, जिसका खमियाजा लोकसभा चुनाव में भुगतना पड़ा, अब विधानसभा चुनाव तक आते आते गलती सुधारने व डैमेज कंट्रोल की कोशिश कितनी कारगर साबित होगी?