कहीं राजनीतिक अस्थिरता की ओर तो नहीं जा रहा नेपाल ?

काठमांडू। नेपाल के प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली ने रविवार को हुई मंत्रिमंडल की आपात बैठक में संसद भंग करने की सिफारिश की है। मीडिया में आई खबरों में यह जानकारी दी गई है। ओली ने सत्तारूढ़ नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी के शीर्ष नेताओं और मंत्रियों के साथ शनिवार को सिलसिलेवार मुलाकातों के बाद मंत्रिमंडल की आपात बैठक बुलाई थी। यह खबर हिमालयन टाइम्स अखबार ने प्रकाशित की।

मीडिया रिपोर्टस के आधार पर कहा जा रहा है कि ऊर्जा मंत्री वर्षमान पून ने कहा कि आज मंत्रिमंडल ने राष्ट्रपति से संसद भंग करने की सिफारिश करने का फैसला किया है। खबरों में कहा गया है कि इस अनुशंसा को मंजूरी के लिये राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी के पास भेजा जाएगा। आमतौर पर ऐसे बड़े निर्णय पर प्रधानमंत्री पहले से ही राष्ट्रपति से विचार-विमर्श कर लेते हैं। ऐसी स्थिति में माना जा रहा है कि राष्ट्रपति मंत्रिमंडल की सिफारिश को मंजूरी दे सकती हैं।

असल में, ओली ने पूर्व प्रधानमंत्री पुष्प कमल दल प्रचंड के साथ सत्ता संघर्ष के बीच यह कदम उठाया है। बीते कई दिनों से नेपाल में राजनीतिक अस्थिरता की बात कही जा रही है। नेपाली मीडिया ने भले ही इस खबर को पहले तरजीह नहीं दी, लेकिन भारतीय मीडिया सहित कई दूसरे विदेशी मीडिया ने बराबर इस पर नजर बनाए रखा। अब ओली के कदम से उस संभावना को बल मिल रहा है।

दूसरी ओर नेपाली प्रधानमंत्री के इस कदम पर विपक्षी नेताओं ने अपनी प्रतिक्रिया देनी शुरू कर दी है। नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (एनसीपी) के वरिष्ठ नेता प्रचंड और माधव कुमार लंबे समय से प्रधानमंत्री ओली पर प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देने के लिए दबाव बना रहे हैं। माना जा रहा है कि सत्ता पार्टी में प्रचंड और माधव कुमार के समर्थक नेता निर्णय का प्रबल विरोध करेंगे।