नियोजन नीति को लेकर झारखंड की राजनीति गरमा गई

नियोजन नीति को लेकर आज झामुमो, कांग्रेस सत्ता पक्ष की ओर से तथा भाजपा और आजसू विपक्ष की ओर से , अपनी अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। भाजपा इसे तुष्टीकरण साबित कर रही है तो आजसू ने इस नीति को लेकर कई सवाल खड़े किए हैं।

रांची। झारखंड की नई नियोजन नीति को कैबिनेट से मंजूरी मिलने पर झारखंड मुक्ति मोर्चा ने जोरदार स्वागत करते हुए हेमंत सोरेन की सरकार का आभार जताया है। मोर्चा के केंद्रीय महासचिव सह प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि सरकार का यह फैसला राज्य के मूलवासियों, आदिवासियों, दलित और पिछड़ी जाति के लोगों का सम्मान बढ़ाएगा। पिछली सरकार की नियोजन नीति में जितनी जटिलताएं थीं, उससे यहां के मूलवासी-आदिवासी को कोई लाभ नहीं मिला। हमारी सरकार ने नई नियोजन नीति बनाकर उन लोगों को नौकरी और नियोजन का बड़ा अवसर दिया है, जिनका जन्म, पालन-पोषण इसी धरती पर हुआ है। सुप्रियो भट्टाचार्य शुक्रवार को प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित कर रहे थे।
झामुमो महासचिव ने कहा कि हमारा राज्य कई जनजातीय क्षेत्रों में बंटा हुआ है। वहां स्थानीय भाषा बोली जाती है। कोल्हान के ज्यादातक हिस्सों में हो, कुछ हिस्सों में संताली तो कुछ हिस्सों में मुंडारी बोली जाती है। दक्षिण छोटानगापुर के हिस्सों में मुंडारी, खड़िया और कुड़ूख बोली जाती है। संताल में अधिकतर हिस्सों में संताली बोली जाती है। तृतीय और चतुर्थ वर्गीय स्तर पर हमारे युवक केटेलेटिक के रूप में काम करते हैं। अपनी भाषा में आदमी अपनी मातृभाषा में अपनी प्रियों को जितनी बातों को रख सकता है, उतना किसी और भाषा में नहीं कर सकता है। इसलिए यह फैसला लिया गया है कि स्थानीय लोगों को स्थानीय स्तर पर नियोजन का लाभ मिलेगा। यह ऐतिहासिक फैसला है। साथ ही कर्मचारी चयन आयोग जो अराजपत्रित पदों के लिए परीक्षा लेता है। उसमें पहले दो तरह की व्यवस्था थी, आरंभिक परीक्षा और दूसरा मेंस परीक्षा। हमारा अनुभव है कि पिछले छह सालों में पीटी क्वालिफाईंग परीक्षा के बाद कई उम्मीदवार कोर्ट चले जाते थे, जिसके कारण मेंस परीक्षा में विलंब हो जाता था। किंतु सरकार ने अब एक ही परीक्षा का प्रावधान कर सारी जटिलताओं को खत्म कर दिया।
आदिवासियों-मूलवासियों की हितों का ध्यान रखकर गठबंधन सरकार ने युवाओं को रोजगार उपलब्ध कराने की दिशा में ठोस कदम उठाया है। झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी सरकार के फैसले का स्वागत करते हुए कहा है कि बीस वर्षां में पहली बार किसी सरकार ने ऐसा फैसला लिया है।
प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता आलोक कुमार दूबे , लाल किशोरनाथ शाहदेव और डॉ0 राजेश गुप्ता छोटू ने कहा कि भाजपा को यह मालूम होना चाहिए कि परीक्षा का माध्यम हिन्दी में है। जेएसएससी द्वारा आयोजित प्रतियोगिता परीक्षाओं में हिन्दी और अंग्रेजी विषय में सिर्फ क्वालिफाइंग की अनिवार्यता का निर्धारण किया गया है, जबकि अभ्यर्थी परीक्षा हिन्दी भाषा में ही दे सकेंगे। जबकि क्षेत्रीय भाषा में पढ़ाई करने वाले लोग अपने विषय को चुन सकते है।इसमें कोई रोक नहीं है, अभ्यर्थी चाहे, तो हिन्दी को ही मेन विषय में चुन सकते है।
दूसरी ओर इस नीति को लेकर विपक्ष सवाल कर रहा है। भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव ने आज प्रदेश मुख्यालय में एक प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए राज्य सरकार पर नई नियुक्ति नियमावली के जरिए तुष्टीकरण करने,हिंदी राजभाषा का अपमान करने और अनेक क्षेत्रों के साथ भेदभाव बरतने का आरोप लगाया।
प्रवक्ता ने कहा कि राज्य सरकार ने पूर्व की नियमावली को परिवर्तित करते हुए मुख्य परीक्षा से हिंदी के विकल्प को समाप्त कर दिया है। यह न सिर्फ राजभाषा का अपमान है बल्कि इससे लाखों छात्रों पर भी असर पड़ेगा। आखिरकार मुख्य परीक्षा के जरिए ही छात्रों का विभिन्न पदों के लिए चयन होता है और इनकी रैंकिंग तय होती है।
इससे पूर्व की नियमावली में राज्य स्तरीय मेंस के पेपर 2 में जनजातीय क्षेत्रीय भाषा के लिए हिंदी, अंग्रेजी एवं संस्कृत विषय का भी प्रावधान था। जो कि इस बार के नए नियमावली में उपरोक्त तीनों विषय को हटा दिया गया है। नई नियमावली में उर्दू को जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा में पेपर 2 में यथावत रहने दिया गया है जबकि उर्दू कोई क्षेत्रीय जनजातीय भाषा नहीं है। यह साफ दिखाता है कि राज्य सरकार बहुसंख्यक विरोधी मानसिकता से कार्य कर रही है और सिर्फ अल्पसंख्यक वोटों के ध्रुवीकरण के कारण ऐसा कदम उठा रही है।इसका कड़ा प्रतिरोध किया जाएगा।
जसू पार्टी ने हेमंत सरकार पर आरोप लगाया है कि वर्तमान सरकार ने नियुक्ति नियमावली में संशोधन कर खतियानी अहर्ता को खत्म कर, कागज़ी अहर्ता को लागू कर दिया है। झामुमो महागठबंधन सरकार ने अपने चुनावी नारों में बड़े-बड़े वादे किए, जिसमें 1932 खतियान के आधार पर स्थानीय एवं नियोजन नीति निर्धारित करने की बात भी थी। लेकिन नियुक्ति नियमावली में संशोधन इन वादों के बिल्कुल विपरीत है। पार्टी के केंद्रीय प्रवक्ता डॉ देवशरण भगत ने प्रेस बयान जारी करते हुए कहा कि वर्तमान सरकार का यह निर्णय जनादेश के साथ धोखा है। यह झारखण्डी भावनाओं और उम्मीदों के साथ कुठाराघात है। साथ ही यह झारखण्ड आंदोलन की मूल भावनाओं के भी खिलाफ है। झारखण्ड की आने वाली पीढ़ियों के स्वर्णिम भविष्य तथा झारखण्डियों की पहचान, स्वायत्तता और संशाधनों पर स्वशासन के सपनों के साथ अलग झारखंड राज्य की लड़ाई लड़नेवाले वीर शहीदों के सपनों को आज इस सरकार ने चकनाचूर कर दिया।