पीएम मोदी का देश के नाम संबोधन, कोरोना काल में हर चुनौती का मजबूती से सामना किया है भारत ने

देश ने ‘सबको वैक्सीन-मुफ़्त वैक्सीन’ का अभियान शुरू किया।गरीब-अमीर, गांव-शहर, दूर-सुदूर, देश का एक ही मंत्र रहा कि अगर बीमारी भेदभाव नहीं नहीं करती, तो वैक्सीन में भी भेदभाव नहीं हो सकता! इसलिए ये सुनिश्चित किया गया कि वैक्सीनेशन अभियान पर VIP कल्चर हावी न हो।

नई दिल्ली। शुक्रवार की सुबह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश को संबोधित किया। अपने संबोधन में उन्होंने पूरे कोरोना काल की दुश्वारियां और उसमें जनता की सहभागिता की सराहना की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के वैज्ञानिक, डॉक्टर और स्वास्थ्यकर्मियों के साथ पूरी जनता के प्रति आभार प्रकट किया और कहा कि पूरी दुनिया आज सकारात्मक दृष्टि से भारत की ओर से देख रहा है।

अपने संबोधन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि जब 100 साल की सबसे बड़ी महामारी आई, तो भारत पर सवाल उठने लगे। क्या भारत इस वैश्विक महामारी से लड़ पाएगा? भारत दूसरे देशों से इतनी वैक्सीन खरीदने का पैसा कहां से लाएगा? भारत को वैक्सीन कब मिलेगी? भारत के लोगों को वैक्सीन मिलेगी भी या नहीं?  क्या भारत इतने लोगों को टीका लगा पाएगा कि महामारी को फैलने से रोक सके? भांति-भांति के सवाल थे, लेकिन आज ये 100 करोड़ वैक्सीन डोज़, हर सवाल का जवाब दे रही है।

नरेंद्र मोदी ने यह भी कहा कि हमारे देश ने एक तरफ कर्तव्य का पालन किया तो दूसरी तरफ उसे बड़ी सफलता भी मिली। भारत ने कल 100 करोड़ वैक्सीन डोज़ का कठिन लेकिन असाधारण लक्ष्य प्राप्त किया। इस उपलब्धि के पीछे 130 करोड़ देशवासियों की कर्तव्यशक्ति लगी है इसलिए ये सफलता हर देशवासी की सफलता है।
प्रतिकूल परिस्थितियों में कैसे सभी देशवासियों ने मिलकर काम किया, उसका जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि हमें हर छोटी से छोटी चीज जो मेड इन इंडिया हो, जिसे बनाने में किसी भारतवासी का पसीना बहा हो, उसे खरीदने पर जोर देना चाहिए और ये सबके प्रयास से ही संभव होगा।अगर मेरे देश की वैक्सीन मुझे सुरक्षा दे सकती है तो मेरे देश का उत्पादक, मेरे देश में बने सामान, मेरी दिवाली और भी भव्य बना सकते हैं। देश बड़े लक्ष्य तय करना और उसे हासिल करना बखूबी जानता है लेकिन इसके लिए हमें सतत सावधान रहने की जरूरत है। हमें अपने त्योहारों को पूरी सतर्कता के साथ ही मनाना है।