Positive Story : परसा किसानों के जीवन में प्रकाश ला रहा कोयला

दिनेश अपने दो बच्चों को सरगुजा के अदाणी विद्या मंदिर भेजते हैं, जहां उन्हें गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिलती है। शिक्षा से स्वास्थ्य और स्वच्छता के बारे में जागरूकता बढ़ रही है। परिवार अब खुले में शौच नहीं करता क्योंकि दिनेश यादव ने अपने घर में शौचालय बना रखा है।

नई दिल्ली। दिनेश यादव हर दिन भोर में उठकर सीधे अपने खेत की ओर निकल पड़ते हैं। वह सुबह सबसे पहले अपनी फसल के रोपण को देखना चाहते हैं और अपने बच्चों की तरह उनकी देखभाल करते हैं। यह प्रक्रिया उन्हें युवा बना देती है, और वे अपनी छत्तीसगढ़ी बोली में इस बात को बड़े शान से बताते हैं।

दिनेश के पास सरगुजा में परसा ईस्ट कांता बासन (पीईकेबी) खदान के तहत क्षेत्र के परसा गांव में 5 एकड़ जमीन है। वह सिस्टम ऑफ राइस इंटेंसिफिकेशन (एसआरआई) तकनीक, दालें, गेहूं और सब्जियों का उपयोग करके धान उगाते हैं। अदाणी फाउंडेशन की एक आजीविका पहल, प्रोजेक्ट अन्नपूर्णा से पहले दिनेश यादव की औसत वार्षिक आय 60,000 रुपये थी, इस पहल का उद्देश्य सतत कृषि प्रथाओं को बढ़ावा देना जो 2016 में दिनेश के गांव में शुरू हुई थी। इस योजना के साथ जुड़ने के बाद उनकी औसत आय बढ़कर 1,20,000 रुपये हो गई। उन्हें परियोजना के तहत आधुनिक कृषि और सिंचाई उपकरणों के साथ उच्च गुणवत्ता वाले हाइब्रिड बीज प्रदान किए गए। उन्हें अपनी आय बढ़ाने में मदद करने के लिए जैविक खेती सहित आधुनिक कृषि पद्धतियों में भी प्रशिक्षित किया गया। जानकारी से लैस दिनेश ने अपनी एक एकड़ जमीन पर जैविक खेती भी शुरू कर दी और अच्छी पैदावार पाकर वह अब खुश हैं। इस परियोजना से उन्हें व अन्य किसानों को भी लाभ हुआ है।

उनके गांव व उसके आसपास के किसान जो पीईकेबी क्षेत्र में आते हैं, उन्होंने एक किसान उत्पादक कंपनी (एफपीसी) बनाई है। यह संस्था निर्माण और हितधारक स्वामित्व को बढ़ावा देता है, जिससे वे अपने संसाधनों को पूल करने में सक्षम होते हैं, इसके परिणामस्वरूप प्रति यूनिट इनपुट लागत में कमी आती है और नए बाजार संबंध बनते हैं। कृषि विज्ञान केंद्र (केवीके) के सहयोग से फाउंडेशन द्वारा आयोजित कृषि उत्पाद विपणन प्रोत्साहन पर नियमित प्रशिक्षण और कार्यशालाओं से उन्हें कृषि उत्पादों के मार्केटिंग प्रमोशन के विभिन्न पहलुओं को सीखने में मदद मिलती है। इसके अलावा सब्जी उत्पादन में नवीनतम तकनीकों की बेहतर समझ के लिए एक्सपोजर यात्राओं का आयोजन भी किया जाता है।

दिनेश और उनके परिवार का जीवन बेहतर बदलाव का गवाह बन रहा है। इस क्षेत्र की कोयला खदानें लोगों के लिए आशा की एक नई किरण लेकर आई हैं। पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाले कोयले की प्रचलित धारणा के विपरीत, इसने वास्तव में क्षेत्र के परिदृश्य को बदलकर रख दिया है। यह क्षेत्र अब बेहतर स्कूलों, इंफ्रास्ट्रक्चर, काम के अवसरों, स्वास्थ्य सुविधाओं आदि में तेजी से आगे बढ़ रहा है।