अहमदाबाद। जिस गुजरात से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह आते ही हैं, उसी राज्य से जब कोई उनकी पार्टी का ही सांसद पार्टी से त्यागपत्र दे, तो स्थिति सहज नहीं होगी। गुजरात भाजपा में आज यही हुआ। भरूच से सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री मनसुख वसावा ने जैसे ही भाजपा की सदस्यता से इस्तीफा दिया, प्रदेश संगठन में हडकंप मच गई। यहां की बातें दिल्ली पहुंचाई गई, लेकिन सांसद अपनी जिद पर टिके रहे।
त्यागपत्र देने के बाद सांसद ने कहा कि उन्होंने पार्टी का वफादार बने रहने और पार्टी के मूल्यों को अपने जीवन में आत्मसात करने की पूरी कोशिश की। उन्होंने कहा, ‘‘मैं अंततः एक मनुष्य हूं और मनुष्य गलतियां कर देता है। पार्टी को मेरी गलतियों के कारण नुकसान नहीं हो, यह सुनिश्चित करने के लिए मैं पार्टी से इस्तीफा दे रहा हूं और पार्टी से माफी मांगता हूं।’’
हमेशा जनजातीय मामलों पर मुखर रहने वाले सांसद मनसुख वसावा ने साफ कर दिया है कि आज उन्होंने पार्टी की दस्यता से इस्तीफा दिया है और वे संसद के बजट सत्र के बाद लोकसभा के सदस्य के तौर पर भी इस्तीफा दे देंगे। प्राप्त जानकारी के अनसुार, सांसद वसावा ने गुजरात भाजपा अध्यक्ष आर सी पाटिल को लिखे पत्र में कहा है कि मैं इस्तीफा दे रहा हूं, ताकि मेरी गलतियों के कारण पार्टी की छवि खराब न हो। मैं पार्टी का वफादार कार्यकर्ता रहा हूं, इसलिए कृपया मुझे माफ कर दीजिए।’
बताया जाता है कि वसावा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पिछले सप्ताह पत्र लिखकर मांग की थी कि पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की नर्मदा जिले के 121 गांवों को पर्यावरण के लिहाज से संवेदनशील क्षेत्र घोषित करने संबंधी अधिसूचना वापस ली जाए। लेकिन, इस पर केंद्रीय स्तर से कोई संतोषजनक जवाब उन्हें नहीं मिला। इसकारण वे नाराज चल रहे थे।