प्रयागराज। इंडियन चेंजमेकर और विशनरी एक्स्प्लोरर रितेश रावल का मिशन “वट इज इंडिया बाय रितेश रावल” भारत की प्रगति को आगे बढ़ाने की अपनी प्रतिबद्धता के साथ ‘अ ग्रेट इंडियन ड्रीम’ की भावना को उजागर करने के आकर्षक अभियान पर हैं। देश की धड़कन बनने के अटूट जुनून से प्रेरित रावल देश की पगडंडियों को मापते हुए विविध सामाजिक परिदृश्यों, जटिल संरचनाओं, समृद्ध अर्थव्यवस्था, पल-पल बदलती राजनीति और अलग-अलग समाज की जीवंत संस्कृतियों को समझते हुए विशाल एवं समृद्ध भारत की तस्वीर खींचने की अनोखी यात्रा पर हैं।
बनारस, देहरादून, मसूरी और अयोध्या में अपना गहन सांस्कृतिक अन्वेषण पूरा करने के बाद रितेश रावल की परिवर्तनकारी “वट इज इंडिया बाय रितेश रावल” की यात्रा अब ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण शहर प्रयागराज पहुंची है। हर 12 साल में आयोजित होने वाले भव्य आध्यात्मिक समागम अर्थात कुंभ मेला तथा गंगा, यमुना और सरस्वती के त्रिवेणी संगम के लिए जाना जाने वाला प्रयागराज शहर भारत की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक मानचित्र पर एक अद्वितीय स्थान रखता है।
प्रयागराज प्रवास के दौरान रितेश रावल अपनी सांस्कृतिक खोज-यात्रा के तहत इलाहाबाद संग्रहालय पहुंचे, जो हमारी समृद्ध विरासत के कालातीत स्मारक के रूप में प्रसिद्ध है। इस दौरान उन्हें संगम घाट पर पूजनीय आरती करने का भी सौभाग्य मिला, जिससे उन्हें प्रयागराज की आध्यात्मिक विरासत का गहन, मार्मिक और मंत्रमुग्ध कर देने वाला अनुभव हासिल हुआ।
इस बारे में इंडियन चेंजमेकर रितेश रावल ने कहा, ‘ऐतिहासिक शहर प्रयागराज से लेकर त्रिवेणी संगम के शांत तटों तक, भारत की सांस्कृतिक विरासत के केंद्र की खोज करते हुए मैंने अनेकता में एकता, इतिहास और आध्यात्मिकता को आपस में जोडऩे वाले अदृश्य धागे की पहचान की है। यहां की हर बातचीत, गुजारा हर पल, ‘अ ग्रेट इंडियन ड्रीम’ के ताने-बाने को और समृद्ध करता है। दरअसल यह वह मानचित्र है जो हमारे लोगों की आकांक्षाओं को एकसूत्र में पिरोकर एक प्रगतिशील और एकजुट राष्ट्र की मेरी दृष्टि को बल देती है।’
इसके अलावा, रितेश रावल ने प्रयागराज में 133 एकड़ में फैले विशाल ऐतिहासिक चंद्रशेखर आजाद पार्क में महान अमर स्वतंत्रता सेनानी चंद्रशेखर आजाद को श्रद्धांजलि अर्पित की। वीर चंद्रशेखर आजाद के बलिदान एवं अदम्य साहस को याद कर रितेश रावल की आंखें श्रद्धा से भर आईं। यहां आकर उन्होंने भावी पीढिय़ों के लिए देश के इतिहास को संरक्षित करने के महत्व को स्वीकार किया।
जैसे-जैसे रितेश रावल की यात्रा आगे बढ़ती है, ये बातचीत, अनुभव और गहन क्षण ‘अ ग्रेट इंडियन ड्रीम’ के उनके दृष्टिकोण को आकार देते रहते हैं। इस परिवर्तनकारी अभियान के माध्यम से, रावल भारत के लोगों की सामूहिक आकांक्षाओं और कहानियों को प्रगति, एकता और आशा के मानचित्र पर उकेरने की इच्छा रखते हैं।