नई दिल्ली। कई विशेषज्ञों ने इस बात पर चिंता जताई है कि यदि हमलोगों ने अपनी जीवनशैली में बदलाव नहीं किया, तो भारत हृदयरोगों की राजधानी बन जाएगा। जिस प्रकार से बीते दशक में इस बीमारी ने अपना आयतन बढाया है, वह चिंताजनक है। इसलिए विशेषज्ञ कह रहे हैं कि भारतीय जीवनशैली और योग के माध्यम से आप और हम इस बीमारी को रोक सकते हैं।
बता दें कि विश्वस्तर पर, हर साल 20 करोड़ से भी ज्यादा लोगों में सीएडी की पहचान होती है और अबतक 2 करोड़ लोगों की जान जा चुकी है जिसके अनुसार इस बीमारी की मृत्युदर 10 प्रतिशत है। भारत में, हर साल 35 लाख लोगों की मौतों के साथ लगभग 6 करोड़ लोग किसी न किसी प्रकार की दिल की बीमारी से ग्रस्त हैं। दुनिया भर के देशों की तुलना में भारत में दिल के मरीजों की संख्या सबसे ज्यादा है, इसके बावजूद इसे अनदेखा किया जाता है।
साओल हार्ट सेंटर के निदेशक, डॉक्टर बिमल छाजेड़ कहतेे हैं कि भारत के अस्पतालों में हर साल लगभग 2 लाख मरीजों की ओपन हार्ट सर्जरी की जाती है, जिसकी संख्या प्रतिवर्ष 25 प्रतिशत बढ़ रही है। लेकिन इतने प्रयासों के बावजूद हार्ट अटैक के मामलों में कमी नहीं आई है। इन बीमारियों को जड़ से खत्म करने के लिए लोगों को हृदय रोगों और उनके जोखिम कारकों के बारे में जागरुक करना आवश्यक है।
कुछ लोगों का का यह भी कहना है कि भारत में एंजियोप्लास्टी और बाईपास सर्जरी के इस्तेमाल पर सवाल उठ रहे हैं। जहां लगभग 10,000 अस्पतालों में लालची हार्ट सर्जन और कार्डियोलॉजिस्ट काम करते हैं। भारत में, 5 लाख से भी ज्यादा स्टेंट लगाए जाते हैं और लगभग 60,000 बाईपास सर्जरी दिल के अस्पतालों में की जाती हैं जिसमें से 85 प्रतिशत उन मरीजों पर की जाती है जिन्हें बिना सर्जरी के ठीक किया जा सकता है। इससे पता चलता है कि कार्डियोलॉजी की साइंस फेल हो रही है।
इस संदर्भ में डॉक्टर बिमल छाजेड़ का कहना है कि वर्तमान में, सभी डॉक्टर बाईपास सर्जरी या एंजियोप्लास्टी, दवाइयों और इमरजेंसी ट्रीटमेंट पर ज्यादा जोर देते हैं, जिसके कारण वे हार्ट अटैक और हृदय रोगों के मूल कारण को नहीं समझ पाते हैं। ऑप्टिमम मेडिकल मैनेजमेंट के साथ योगा और डाइट आधारित जीवनशैली की मदद से हृदय रोगों में कमी लाई जा सकती है। ये न सिर्फ दिल को स्वस्थ रखने में मदद करते हैं बल्कि बाईपास सर्जरी और एंजियोप्लास्टी की जरूरत को भी खत्म करते हैं। साओल (साइंस एंड आर्ट ऑफ लिविंग) पिछले 25 सालों से दिल के मरीजों का सफलतापूर्वक इलाज करता आ रहा है।
लाइफस्टाइल संबंधी बीमारियां होने के नाते हृदय रोगों का इलाज भी लाइफस्टाइल को ध्यान में रखते हुए किया जाना चाहिए। चूंकि, हृदय रोग देश के करोड़ों लोगों और इकोनॉमी को प्रभावित करते हुए भारतीय समाज पर एक बोझ की तरह बढ़ रहा है, इसलिए इसे जड़ से खत्म करना आवश्यक हो गया है।