नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश की राजनीति (UP Poltics) इतनी आसान नहीं है, जितना कोई बीते तीन दिन से अंदाजा लगा रहा था। भाजपा के केंद्रीय संगठन महासचिव बीएल संतोष (BL Santosh) और उत्तर प्रदेश राज्य के पार्टी प्रभारी राधा मोहन सिंह (Radha Mohan Singh) दर्जनों मंत्री, दोनों उपमुख्यमंत्री और कई विधायक से मिले। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) से मंत्रणा की। उसके बाद भी वहां कोई निर्णय नहीं ले सके। भाजपा सूत्रों का कहना है इन दोनों केंद्रीय पदाधिकारियों ने अपनी रिपोर्ट बना ली है, जिसे वे दिल्ली में भाजपा के केंद्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को देंगे। उसके बाद ही संगठन और सरकार के स्तर पर वह निर्णय लिया जाएगा, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भी सहमति होगी।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, बीएल संतोष और राधामोहन सिंह इससे पहले बैठक अलग-अलग शिकायतें, विचार, उनके क्रियाकलाप आदि तमाम विषयों पर विचार-विमर्श के बाद बुधवार शाम चार बजे दिल्ली की इंडिगो फ्लाईट पर बैठकर रवाना हो गये। इसके बाद इन दोनों ने केंद्रीय नेतृत्व को अपना पूरा फीडबैक दे दिया है। इस पर गंभीर मंत्रणा होगी। पार्टी कार्यालय के सूत्रों का कहना है कि बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव संगठन बीएल संतोष तीन दिन बाद तकरीबन 52 घंटे की मैराथन बैठक की पूरी जानकारी देंगे। उसके बाद पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा (JP Nadda) केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ विमर्श करेंगे। इस विमर्श में जो भाजपा के हिसाब से बेहतर होगा, वह निर्णय लिया जाएगा।
दरअसल, हाल ही में जिस प्रकार से भाजपा को पंचायत चुनाव में मुंह की खानी पडी है, उससे पार्टी ताश के पत्तों की तरह बिखरने के डर से सकते में हैं। किसान आंदोलन का असर अभी से ही पश्चिमी उत्तर प्रदेश में देखा जा रहा है। पार्टी यह मानकर चल रही है कि इस क्षेत्र में उसे नुकसान हो सकता है। अब इसकी भरपाई कहां से होगी, यह देखना है।
कहा तो यह भी जा रहा है कि राज्य के उपमुख्यमंत्री स्वयं राज्य के सीएम बनना चाहते हैं। इसके लिए वो एक अलग गुट का नेतृत्व कर रहे हैं। प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह को भी बदलने की बात है। पार्टी के कई विधायकों की शिकायत है कि योगी राज में उनकी सुनी जाती है। एक जाति विशेष पर विशेष कृपा है सरकार की। ऐसे कई सवाल हैं, जिनसे पार्टी जूझ रही है।