Uttar Pradesh News : कौन हैं मां अन्नपूर्णा देवी, क्या है उनका काशी से नाता?

स्कंदपुराण के काशीखंड में मां अन्नपूर्णा के बारे में विस्तृत जानकारी मिलती है जिसमें मां के स्वरूप का वर्णन कुछ इस प्रकार से मिलता है- 'मां अन्नपूर्णा' का रूप काफी मनमोहक और सुंदर है। वे मां दुर्गा का ही एक रूप हैं, जो कि अपने भक्तों से बहुत प्रेम करती हैं। 'मां अन्नपूर्णा' अन्न की देवी हैं, इन्हीं के आशीष से पूरे विश्व में भोजन का संचालन होता है। उन्हें 'मां शाकुम्भरी' के नाम से भी जाना जाता है।

नई दिल्ली। लगभग सौ साल पहले काशी से चोरी गई मां अन्नपूर्णा की मूर्ति कनाडा से काशी आई है, जिसकी आज पुनः प्राण प्रतिष्ठा की जा रही है। सीएम योगी आदित्यनाथ मां अन्नपूर्णा की मूर्ति को पुनर्स्थापित करेंगे। मां को बाबा विश्वनाथ के गर्भगृह के ठीक बगल में विराजमान किया जाएगा। विधिविधान से काशी विश्वनाथ मंदिर के ईशान कोण में प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा होगी। हरिप्रबोधिनी एकादशी पर सोमवार को कनाडा से लाई गई अन्नपूर्णेश्वरी की मूर्ति समेत पांच विग्रह स्थापित किए गए हैं।

पीएम मोदी ने दी थी जानकारी
बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 29 नवंबर 2020 को मन की बात कार्यक्रम में देश के लोगों को मां अन्नपूर्णा की प्रतिमा कनाडा में मिलने की जानकारी देते हुए कहा था कि हर एक भारतीय को यह जानकर गर्व होगा कि मां अन्नपूर्णा की सदियों पुरानी प्रतिमा कनाडा से भारत वापस लाई जा रही है। यह करीब 108 साल पहले वाराणसी के एक मंदिर से चोरी हुई थी। बनारस शैली में उकेरी गई 18वीं सदी की यह मूर्ति कनाडा की यूनिवर्सिटी आफ रेजिना में मैकेंजी आर्ट गैलरी की शोभा बढ़ा रही थी। इस आर्ट गैलरी को 1936 में वकील नार्मन मैकेंजी की वसीयत के अनुसार तैयार किया गया था।

कैसी है मां अन्नपूर्णा की मूर्ति
कनाडा से वापस आई इस प्रतिमा में मां अन्नपूर्णा के एक हाथ में खीर की कटोरी और दूसरे हाथ में चम्मच है। माना जा रहा है 18वीं शताब्दी की ये प्रतिमा 1913 में काशी के एक घाट से चुरा ली गई थी, और फिर इसे कनाडा ले जाया गया। प्राचीन प्रतिमा कनाडा कैसे पहुंची, यह राज आज भी बरकरार है। लोगों का कहना है कि दुर्लभ और ऐतिहासिक सामग्रियों की तस्करी करने वालों ने प्रतिमा को कनाडा ले जाकर बेच दिया था। वहां यह मैकेंजी आर्ट गैलरी में रेजिना विश्वविद्यालय के संग्रह का हिस्सा थी। इस मूर्ति की वसीयत 1936 में नॉर्मन मैकेंज़ी द्वारा करवाई गई थी और गैलरी के संग्रह में जोड़ा गया था। जी किशन रेड्डी के मुताबिक 2014 के बाद से अब तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में 42 दुर्लभ धरोहरों की देश वापसी हो चुकी है, जबकि 1976 से 2013 तक कुल 13 दुर्लभ धरोहर ही वापस लाई जा सकी थीं। आज देवोत्थान एकादशी के पावन अवसर पर माँ अन्नपूर्णा की दुर्लभ प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा पुनः श्री काशी विश्वनाथ धाम में होगी।

यह बहुप्रतीक्षित ऐतिहासिक क्षण आदरणीय प्रधानमंत्री जी के प्रयासों का सुफल है। माँ की कृपा सम्पूर्ण सृष्टि पर बनी रहे।

काशी से क्या है मां अन्नपूर्णा का नाता?
शास्त्रों के अनुसार मां अन्नपूर्णा ने मां पार्वती के रूप में भगवान शिव से विवाह किया था। शिवजी कैलाश पर्वत के वासी थे। लेकिन हिमालय की पुत्री पार्वती को कैलाश यानी कि अपने मायके में रहना पसंद नहीं आया इसलिए उन्होंने काशी, जो कि भोलेनाथ की नगरी कही जाती है, वहां रहने की इच्छा जाहिर की, जिसके बाद शिवजी उन्हें काशी ले आए। इसलिए काशी ही मां अन्नपूर्णा की नगरी कही जाती है। इसलिए कहा जाता है विश्वनाथ की नगरी में कोई भी भूखा नहीं रहता है। काशी में ही ‘मां अन्नपूर्णा’ का सुंदर मंदिर हैं, जो कि अन्नकूट के दिन खुलता है और यहां उस दिन 56 तरह के भोग लगते हैं।