नई दिल्ली। आरोग्यता हम सूर्य से संबंधित व्यायाम और सूर्य की आराधना से ही प्राप्त कर सकते हैं । अगर आप जीवन में आरोग्य रहना चाहते हैं तो सिर्फ और सिर्फ सूर्य से अपना संबंध जोड़कर उस लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हैं। सूर्य को ऊर्जा का स्रोत कहा गया है। अतः सूर्योदय से पूर्व उठने से सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है। हमारी ऋषि-परंपरा इस बात पर जोर देती रही है कि भोर-बेला में ही यानी सूर्योदय-पूर्व बिस्तर छोड़ देना चाहिये और दैनंदिन के कार्यों में लग जाना चाहिये। इससे तन-मन और मस्तिष्क को भरपूर ऊर्जा और शांति मिलती है।
1. सुबह सवेरे उठकर खुले स्थान पार्क अथवा भवन की छत पर पूर्वाभिमुख होकर सूर्य नमस्कार एवं अन्य व्यायाम करें। लंबी-लंबी श्वास खींचते हुए मन में विचार करें कि सृष्टि की अपार सकारात्मक ऊर्जा आपकी श्वास में घुलकर तन-मन और मस्तिष्क को स्वस्थ और सुंदर बना रही है।
2. हमारे शरीर में ऊर्जा भोजन से ही प्राप्त होता है, इसलिए खान-पान का विशेष ध्यान रखें साथ ही साथ वास्तु के अनुकुल नियमों का पालन करें ।
3. अच्छे स्वास्थ्य के लिए इस बात का ध्यान रखें कि भोजन करते समय मुख पूर्व अथवा उत्तर दिशा की ओर रहे। पश्चिम दिशा की ओर मुख रखना तीसरा विकल्प हो सकता है, किंतु दक्षिण दिशा की ओर मुख करके भोजन न करें। दक्षिण दिशा की ओर मुख करके भोजन करने से न ही भोजन का आनंद मिलेगा और न ही स्वास्थ्य लाभ ही होगा ।
4. खड़े होकर अथवा बेड या पलंग पर बैठकर भोजन करना स्वास्थ्य की दृष्टि से कदापि उचित नहीं है। भूमि पर आसन बिछाकर भोजन करना सर्वाधिक उपयोगी है। आधुनिक जीवन शैली के अनुसार, डाइनिंग टेबल पर भी भोजन करना बेहतर है।
5. बेड पर बैठकर भोजन करने से जूठन आदि गिरने से न केवल चींटी जैसे कीटों को अनायास ही निमंत्रण मिल जाता है, इससे निद्रा में भी व्यवधान उत्पन्न होता है। दूसरी एक महत्वपूर्ण बात यह है कि दिन-भर के थके-हारे जब आप बेड पर जाते हैं तो वह आपसे स्वच्छता की मांग करता है ताकि मन को शांति मिल सके। मनोवैज्ञानिक तौर पर साफ-धुली हुई चादर आपकी नींद को ज्यादा आराम देती है।
6. भोजन के समय शांत चित्त रहें। चाहे जिस प्रकार का भी भोजन आपके समक्ष हो, अन्न देवता का धन्यवाद करते हुए उसे रुचिपूर्वक अच्छी तरह से चबाते हुए आनंद पूर्वक ग्रहण करें ।
7. प्रायः टेलीविजन देखते हुए भोजन करने का प्रचलन हो गया है, जो स्वास्थ्य की दृष्टि से सर्वथा हानिकारक है । टीवी देखते हुए भोजन करने से इलेक्ट्रोमैग्नेटिक रेडिएशंस नामक नकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न होती है, जो सभी ज्ञानेंद्रियों पर विपरीत प्रभाव डालती है। इसके अलावा टीवी पर क्षण-प्रतिक्षण मर्डर, घृणा, बलात्कार, दुर्घटना, झगड़ा और मारपीट जैसे विभिन्न दृश्य दिखाए जाते हैं, जिनसे मन-मस्तिष्क भी निरंतर विपरीत भावनाओं से भर जाते हैं। इससे मानसिक अस्थिरता पैदा होती है। शरीर क्रिया विज्ञान के अनुसार, शरीर के भीतर उत्पन्न हुए विभिन्न रस, लार, एसिड और पित्त आदि अनियमित अनुपात में भोजन में मिलने से पाचन क्षमता पर विपरीत प्रभाव पड़ता है और पेट की विभिन्न बीमारियां जन्म ले लेती हैं, अतः टीवी ऑफ करके अपनी दिनचर्या पर या घरेलू गपशप करते हुए परिवार के सदस्यों के साथ मिलकर भोजन करना उचित रहता है।