खुशी घर में मिलती है, बिजी शेड्यूल से समय चुराएं

दिन में थोड़ा-सा समय अपने को दें, बस ऑफिशियल कामकाज नहीं हो। फिर देखिए कैसे काम निखरता और चेहरे पर आता है सुकून वाला निखार।

नई दिल्ली। पर्सनल स्पेस बहुत की जरूरी होती है। इसमें ऑफिस का काम ही करेंगे, तो आप स्ट्रेस फ्री कैसे रहेंगे। हर दिन से कुछ समय चुराएं और सुकून वाला काम या परिवार वालों के साथ बैठें। इसमें खास फर्नीचर का अहम रोल होता है। एक अध्ययन से मालूम चला है कि घर की सजावट के लिए प्राथमिकताओं में लोगों के व्यक्तित्व और मूल्यों की विशिष्ट अभिव्यक्ति पर प्रकाश डालता है, घरों और लोगों के विकास के बीच अंतर्निहित संबंध पर जोर देता है। रिपोर्ट के निष्कर्षों ने बदलते उपभोक्ता व्यवहार के दिलचस्प पहलुओं का खुलासा किया, पर्सनल स्पेस के महत्व और व्यक्तिगत विकास के साथ इसके संबंध पर प्रकाश डाला और बताया कि कैसे बढ़ती संख्या में भारतीय सक्रिय रूप से अपने घरों की सीमा के भीतर ‘मी-टाइम’ की तलाश कर रहे हैं। अपने काम और घर के बीच संतुलन बनाने की कोशिश कर रहे अधिकतर भारतीयों के लिए ‘पर्सनल-टाइम’ एक विलासिता बनता जा रहा है। सर्वेक्षण से जुड़ा डेटा लोगों की कार्यक्षमता और उनके सौंदर्यबोध दोनों को प्राथमिकता देने की दिशा में आए बदलाव पर रोशनी डालता है। लोग यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि घर न केवल कुशल और सुव्यवस्थित हो, बल्कि आकर्षक और सुरुचिपूर्ण ढंग से सजाया गया हो। अध्ययन से पता चलता है कि कोलकाता, बेंगलुरु और मुंबई टॉप थ्री ऐसे शहर हैं जहां के लोग बाहरी दुनिया की हलचल से बचते हुए अपने घरों में सुकून की तलाश कर रहे हैं। लगभग 33 प्रतिशत उत्तरदाताओं का दावा है कि उनका घर आराम करने, कुछ वक्त अपने साथ बिताने के लिए, सोने, ध्यान करने, खुद पर ध्यान देने और अपनी बालकनी या गार्डन में समय बिताने आदि के लिए सबसे सुरक्षित जगह है, आधे से अधिक उत्तरदाताओं के साथ कोलकाता में 56 प्रतिशत, बेंगलुरू में 40 फीसदी उत्तरदाता और 39 फीसदी मुंबईकर यह दावा कर रहे हैं। अध्ययन में आगे कहा गया है कि 44 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने पिछले दो से तीन वर्षों में घर में बालकनी गार्डन या मिनी-गार्डन जोड़ा है। लगभग आधे उत्तरदाताओं – 46 प्रतिशत का दावा है कि उन्होंने घर पर एक नया वर्कआउट या योग दिनचर्या शुरू कर दी है। इसके अतिरिक्त, 56 फीसदी प्रतिभागियों ने अपनी पसंदीदा कुर्सी पर, आंगन में या लिविंग रूम में सुबह की चाय या कॉफी का आनंद लेने की परंपरा को पुनर्जीवित करने की इच्छा व्यक्त की। यह सर्वेक्षण बेंगलुरु, चेन्नई, दिल्ली, हैदराबाद, कोलकाता, मुंबई और लखनऊ सहित 7 शहरों में रहने वाले 2822 भारतीयों के साथ किया गया था।