मुंबई। एवरैडी इंडस्ट्रीज़ इंडिया लिमिटेड, जो पावर, परफोर्मेन्स और भरोसे का दूसरा नाम बन चुका है, ने देश की पहली महिला आईपीएस अधिकारी डॉ किरण बेदी के साथ अपनी तरह की पहली सेफ्टी अलार्म से युक्त फ्लैशलाईट- एवरैडी साइरेन टॉर्च का अनावरण किया। इसे इस्तेमाल करने वाला व्यक्ति अगर किसी भी मुश्किल में हो तो इससे जुड़े की-चेन को खींच सकता है, ऐसा करते ही साइरेन फ्लैशलाईट 100 डेसिबल की तेज़ आवाज़ पर सेफ्टी अलार्म बजाने लगती है। खासतौर पर महिलाओं एवं आम लोगों को सशक्त बनाने के लिए डिज़ाइन की गई इस साइरेन फ्लैशलाईट का उद्देश्य रोज़मर्रा में सुरक्षा को बढ़ाना है।
इस अवसर पर डॉ किरण बेदी, सामाजिक कार्यकर्ता एवं पहली महिला आईपीएस अधिकारी ने कहा, ‘‘महिलाओं की शारीरिक क्षमता और सुरक्षा का भीतरी अहसास, उन्हें सशक्त बनाते हैं। यह उनके मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी ज़रूरी है। कभी कभी कुछ परिस्थितियों में सुरक्षित महसूस करने के लिए बाहरी मदद की ज़रूरत होती है- जब उन्हें रात के समय बाहर जाना पडे़ या अपने सपने साकार करने के लिए घर से दूर जाने की ज़रूरत हो। एवरैडी का अनूठा साइरेन टॉर्च महिलाओं को सुरक्षित महसूस कराने की दिशा में उल्लेखनीय कदम है, जो उन्हें आश्वासन देता है कि वे सुरक्षा की चिंता किए बिना बेहिचक जब चाहें, बाहर जा सकती हैं।’
श्री अनिरबन बैनर्जी, सीनियर वाईस प्रेज़ीडेन्ट एवं एसबीयू हैड (बैटरीज़ एवं फ्लैशलाईट्स) एवरैडी इंडस्ट्रीज़ इंडिया लिमिटेड ने कहा, ‘‘एवरैडी असीमित पावर का चैम्पियन है। इसी भावना के साथ हम यह बदलावकारी समाधान साइरेन टॉर्च- लेकर आए हैं- जो सिर्फ फंक्शनेलिटी के दायरे से आगे बढ़कर देश भर की महिलाओं को उम्मीद की किरण देगा और उनके सशक्तीकरण में मुख्य भुमिका निभाएगा। महिलाओं की सुरक्षा हमारे लिए सबसे ज़्यादा मायने रखती है। इसी के मद्देनज़र हम यह आधुनिक गेम-चेंजिंग डिवाइस लेकर आए हैं, जो बेज़ुबान महिलाओं को भी शोर मचाने में सक्षम बनाएगी। इसका 100 डेसिबल एसओएस अलार्म आस-पास से गुज़रने वाले राहगीरों को सतर्क करता है और महिलाओं को दुर्व्यवहार से बचने में मदद करता है। हमें विश्वास है कि किफ़ायती, कॉम्पैक्ट और फीचर्स से भरपूर यह प्रोडक्ट महिलाओं के जीवन पर सकारात्मक प्रभाव उत्पन्न करेगा। गांवों के सुनसान खेतों से लेकर शहरों में रात के समय तक, यह साइरेन महिलाओं को अपनी खुद की रक्षा की ताकत देकर उनका आत्मविश्वास बढ़ाएगा और उनके एवं समुदायों के सुरक्षित भविष्य के निर्माण में योगदान देगा।’’
‘बेज़ुबान को आवाज़ देना आसान काम नहीं हैं लेकिन जब सुजोय और उनकी टीम ने कैंपेन के लिए नॉन-वर्बल एक्टर्स का इस्तेमाल करने की बात रखी, तो सब कुछ बहुत आसान हो गया। स्क्रीन पर एक्टर्स की चुप्पी, उस स्थिति को दर्शाती है, जिसका सामना अक्सर महिलाओं को करना पड़ता है। यह फिल्म बिना आवाज़ के, सिर्फ इशारों के माध्यम से महिलाओं के साथ होने वाले अपमान, हिंसा को बयां करती है। अब हर कोई शोर मचा सकेगा, फिर चाहे वह बेज़ुबान ही क्यों न हो।’ सुकेश नायक, चीफ़ क्रिएटिव ऑफिसर, ओगिल्वी इंडिया ने कहा।