नई दिल्ली। पद्मासन करने के लिए सबसे पहले आप जमीन पर आसानी पूर्वक बैठ जाऐं और अब अपनी दांऐ टांग को घुटनों से मोड़कर बांऐ पैर की जंघा पर रखें। अब बांऐ पैर को घुटने से मोड़कर दांऐ पैर की जंघा पर रखें। दोनो पैरों की एड़ियां नाभि के पास होनी चाहिए। कमर, गर्दन और कन्धे बिल्कुल सीधे। आंखे बन्द करके दोनों हाथों को घुटने पर ज्ञान मुद्रा अर्थात् (दोनो हाथों की तर्जनी अंगुलियां अंगूठे के पोर (अग्रभाग) को स्पर्श करे कहलाता है) ज्ञान मुद्रा चेहरे पर बिना तनाव लाऐ हुए अपनी क्षमतानुसार इस आसन में बैठें। नये साधक शुरू-शुरू में कम से कम 5 मिनट तक बैठने का अभ्यास करें और फिर धीरे-धीरे समय को बढ़ाते जाऐं। श्वास की गति समान्य होनी चाहिए।
असंख्य हैं लाभ
कहा जाता है कि प्राणायाम बिना पद्मासन लगाऐ सिद्ध नहीं हो सकता है। इस आसन के अभ्यास से कब्ज, गैस, बदहजमी की शिकायत दूर होती है। हमारी पाचन शक्ति बढ़ जाती है। जंघा, पिंडलियों और घुटनो को अत्यधिक शक्ति मिलती है। इस आसन से ब्रह्मचारी, गृहस्थ, वानप्रस्थ और सन्यासियो को समान रूप से लाभ मिलता है। इस आसन में ज्ञान मुद्रा के अभ्यास से चित्त की चंचलता, क्रोध और मानसिक तनाव कम हो जाते हैं। यह मुद्रा हमारे आज्ञाचक्र को भी विशेष रूप से प्रभावित करती है। हमारी स्मरण शक्ति में अभूतपूर्व वृद्धि होती है। नशा करने वाले व्यक्ति को यदि इस मुद्रा में रोज बैठाया जाऐ तो वह नशा का परित्याग कर देता है।
सावधानियां अपनाएं
साईटिका और कमजोर घुटने वाले व्यक्ति इस आसन का अभ्यास ना करें। विशेष: प्रत्येक पैरों को मोड़ने का अभ्यास धीरे-धीरे करें। रात में सोते वक्त अपने पैरों की ऐड़ियाँ तथा घुटनों की सरसों के तेल से मालिश करें।