व्हेल शार्क संरक्षण के सोलह साल पूरे होने पर वाइल्डलाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया और उनके साथी टाटा केमिकल्स लिमिटेड, गुजरात वन विभाग और मछुआरों के समुदाय ने एक साथ मिलकर जश्न मनाया।
30 अगस्त को मनाए जाने वाले अंतर्राष्ट्रीय व्हेल शार्क दिवस के मौके पर दुनिया भर के Stakeholders एक ऑनलाइन कार्यक्रम दौरान एक साथ शामिल हुए।
व्हेल शार्क, जो कि दुनिया की सबसे बड़ी मछली है और लुप्त हो रही है। भारत में बाघों, शेरों और हाथियों के संरक्षण के बाद सिर्फ यही पहली मछली की पहली प्रजाति है जिसके संरक्षण पर जोर दिया जा रहा है। गुजरात में व्हेल शार्क का शिकार बड़े पैमाने पर हो रहा है। और यही वजह है जिसने 2004 में टाटा केमिकल्स लिमिटेड और भारतीय वन्यजीव ट्रस्ट को इस अभियान को शुरू करने के लिए प्रेरित किया।
राज्य के प्रमुख तटीय शहरों और गांवों के लोगों में इसके प्रति संदेश देने के लिए लोकप्रिय धार्मिक नेता श्री मोरारी बापू के एक नुक्कड़ नाटक और मछली के inflatable मॉडल का सहारा लिया गया, और ये तरीका काफी कामयाब रहा।
इस परियोजना के अंतर्गत चलाई जा रही गतिविधियों का फायदा उस वक्त साफ तौर पर देखा गया जब 2004 से जून 2020 के बीच मछुआरों ने अपनी मर्जी से 780 से अधिक व्हेल शार्क को छोड़ दिया। इस दौरान गुजरात सरकार ने भी कदम बढ़ाया और व्हेल शार्क को बचाने के लिए जिन मछुआरों के जाल क्षतिग्रस्त हो गए थे उन्हें मुआवजा देना शुरू किया।
“परियोजना टीम द्वारा गुजरात के पानी से हाल ही लिए गए रिकॉर्ड से साफ पता चलता है कि व्हेल शार्क गुजरात तट पर प्रजनन कर रहे हैं जो कि वास्तव में अच्छा संकेत है” डब्ल्यूटीआई के संस्थापक और सीईओ विवेक मेनन ने अपने भाषण में इस पर काफी जोर दिया।
इस समुद्री परियोजना ने दुनिया भर में काफी तारीफ बटोरी है। व्हेल शार्क संरक्षण में अवसरों और चुनौतियों पर केंद्रित ऑनलाइन वेबिनार में शार्क संरक्षण से जुड़े नामी लोगों की भागीदारी देखी गई, जिसमें ऑस्ट्रेलिया से डॉ मार्क मीकन, बेलीज से डॉ राचेल ग्राहम और मोज़ाम्बिक से डॉ साइमन पियर्स के नाम शामिल हैं।
पैनल के लिए अपने संबोधन के दौरान मार्क मेनन ने व्हेल शार्क परियोजना के बारे में बताया कि ये परियोजना विश्व का प्रमुख उदाहरण है जो कि संरक्षण को लेकर जमीनी स्तर पर काम कर रहा है।
उन्होंने कहा, “शिप स्ट्राइक, मत्स्य पालन और शिकार ये सभी व्हेल शार्क के लिए कुछ महत्वपूर्ण खतरे हैं।”
साइमन पियर्स ने इस प्रजाति को प्लास्टिक से होने वाले खतरों पर जोर दिया।
इसके दौरान प्रश्नों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय विशेषज्ञों ने इस बात पर अपनी सहमति व्यक्त की है कि बदलती पर्यावरणीय परिस्थितियाँ इसके वितरण को प्रभावित कर सकती हैं।
आंध्र प्रदेश राज्य में व्हेल शार्क संरक्षण उपायों के बारे में बताते हुए, राहुल पांडे, आईएसएफ (सीसीएफ, आंध्र प्रदेश वन विभाग) ने कहा कि राज्य सरकार ने शिकार को रोकने के लिए उपाय लागू करने के अलावा मछुआरों के बीच जागरूकता कार्यक्रम भी शुरू किए हैं।
“आंध्र प्रदेश में व्हेल शार्क संरक्षण परियोजना, मछुआरों को जागरूक करने के लिए उस मॉडल का पालन करेगी जो कि पहले ही डब्ल्यूटीआई और ईजीआरईई फाउंडेशन द्वारा किया गया है।
अंतर्राष्ट्रीय व्हेल शार्क दिवस समारोह के दौरान परियोजना टीम ने स्कूली छात्रों के लिए समुद्र तट सफाई अभियान, ऑनलाइन पेंटिंग और प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिताओं सहित विभिन्न गतिविधियों का संचालन किया और इस प्रतियोगिता के विजेताओं की भी घोषणा की गई।
टाटा केमिकल्स लिमिटेड के मुख्य सीएसआर और स्थिरता अधिकारी, अल्का तलवार ने कहा कि संरक्षण कार्रवाई के परिणाम के लिए दीर्घकालिक समर्थन आवश्यक है। टीसीएल 15 साल से भी अधिक समय से व्हेल शार्क के संरक्षण का समर्थन कर रहा है।”