किसानों के लिए फसल बीमा योजना

फसल के नुकसान का आकलन रिमोट सेंसिंग के माध्यम से 30 प्रतिशत तक किया जाएगा, जिससे दावे की गणना सटीक और समय पर हो सके।

नई दिल्ली। केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने आज लोकसभा में फसल बीमा योजनाओं को लेकर कई महत्वपूर्ण पहलुओं को उजागर किया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नई फसल बीमा योजना ने किसान कल्याण के क्षेत्र में महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं।

श्री चौहान ने बताया कि पूर्ववर्ती फसल बीमा योजनाओं में कई समस्याएं थीं, जैसे अपर्याप्त दावे और बीमित राशि की कमी। नई प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत आवेदन की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। पहले 3 करोड़ 51 लाख आवेदन आते थे, जो अब बढ़कर 8 करोड़ 69 लाख हो गए हैं। बीमित राशि भी 2.71 लाख करोड़ रुपये से अधिक हो गई है। इसके साथ ही, किसानों को 1.64 लाख करोड़ रुपये के क्लेम का भुगतान किया गया है।

उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि प्राकृतिक कारणों से खराब हुई फसल पूरी तरह से कवर की जाती है और किसानों को इसका पूरा लाभ मिलता है। बीमा की प्रक्रिया को सरल और स्वैच्छिक बनाने के लिए कई सुधार किए गए हैं। अब तक 5 लाख 98 हजार हेक्टेयर क्षेत्र और 3 करोड़ 57 लाख किसानों को कवर किया गया है।

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तीन अलग-अलग मॉडल हैं, जिनमें से राज्य सरकार अपनी पसंद के अनुसार एक मॉडल चुन सकती है। बिहार में प्रीमियम के अधिक होने के सवाल पर उन्होंने कहा कि वहां की राज्य सरकार ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना को लागू नहीं किया है और किसानों को अपनी राज्य की योजना के अनुसार प्रीमियम देना पड़ता है।

नई व्यवस्था के तहत, ग्राम पंचायत को बीमा योजना की इकाई के रूप में मान्यता दी गई है, जिससे किसानों के नुकसान की सही भरपाई की जा सके। इसके साथ ही, प्रत्येक ग्राम पंचायत में कम से कम चार क्रॉप कटिंग एक्सपेरिमेंट करना अनिवार्य कर दिया गया है।

श्री चौहान ने कहा कि बीमा भुगतान में देरी के मामलों में बीमा कंपनियों पर 12 प्रतिशत की पेनल्टी लगाई जाएगी, जो सीधे किसान के खाते में जाएगी। उन्होंने राज्य सरकारों से आग्रह किया कि वे प्रीमियम की राशि समय पर जारी करें और दावे की गणना में किसी भी विलंब को रोकें। नए प्रावधानों के तहत, केंद्र सरकार अपना हिस्सा तुरंत जारी करेगी, ताकि किसानों को समय पर भुगतान मिल सके।