नमाज और मंदिर में उलझी है झारखंड की राजनीति

झारखंड विधानसभा अध्यक्ष ने मुस्लिम समुदाय के लोगों को नमाज अदा करने के लिए विधानसभा परिसर में एक कमरा आवंटित करने का आदेश जारी किया है। इसे लेकर विपक्षी भाजपा ने इसका पुरजोर विरोध किया है।

रांची। कोरोना ने लोगों को यह सिखलाया है कि सबसे कीमती मानव का जीवन है। स्वास्थ्य है। लेकिन, झारखंड की राजनीति एक बार फिर से मंदिर और मस्जिद के बीच उलझ गई है। विपक्षी दल राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर मुस्लिम तुष्टिकरण का आरोप लगा रहे हैं। वहीं, हेमंत सोरेन की पार्टी झामुमो का कहना है कि भाजपा को धर्म के अलावा कुछ और दिखता ही नहीं है। भाजपा का कहना है कि विधानसभा संवैधानिक संस्था है। यहां संवैधानिक बातों का अनुपालन होना चाहिए। सभी धर्मों को समभाव में देखना चाहिए। उधर सत्ता पक्ष की ओर से झामुमो ने इस मुद्दे पर भाजपा के विरोध को अनुचित बताया है। झामुमो का कहना है कि भाजपा राज्य में धार्मिक उन्माद फैलाना चाहती है। अशांति पैदा करना चाहती है।
भारतीय जनता पार्टी प्रदेश अध्यक्ष एवं सांसद दीपक प्रकाश ने कहा कि हेमन्त सरकार ने साजिशन एक तरफ मंदिर में पूजा पर रोक लगा रखी है दूसरी ओर एक विशेष समुदाय को खुश करने के लिए विधानसभा भवन में नमाज अदा करने के लिए कक्ष आवंटित कर तुष्टिकरण की राजनीति को आगे बढ़ाया है। उन्होंने कहा कि तुष्टिकरण की राजनीति के खिलाफ पार्टी आंदोलन और भी तेज करेगी। सभी जिला मुख्यालयों में धरना प्रदर्शन, विधानसभा का घेराव करेगी। उन्होंने कहा कि विधानसभा लोकतंत्र की मंदिर है जिसे हेमन्त सरकार ने तुष्टिकरण की राजनीति कर अपमानित किया है। हेमन्त सरकार के तुष्टिकरण राजनीति के खिलाफ 27 सांगठनिक जिला मुख्यालयों में मुख्यमंत्री व विधानसभा अध्यक्ष का पुतला दहन किया गया। इस पुतला दहन कार्यक्रम में हजारों की संख्या में पार्टी कार्यकर्ता व पदाधिकारी उपस्थित रहें। रांची महानगर में हरमू चौक पर रांची महानगर अध्यक्ष केके गुप्ता के नेतृत्व में पुतला दहन किया गया। जिसमे सैकड़ों की संख्या में कार्यकर्ता शामिल थे।
झामुमो के केंद्रीय महासचिव और प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि सोमवार से विधानसभा में राज्य के गंभीर मुद्दों पर चर्चा करेगी। लेकिन भाजपा का यही रवैया रहा तो इस राज्य का भगवान ही मालिक है। उन्होंने कहा कि कम से कम शोक संवेदना के समय भाजपा को ऐसा आचरण नहीं करना चाहिए। झामुमो इस घटना की कठोर निंदा करता है। साथ ही विधानसभा अध्यक्ष से मांग करता है कि जिस सदस्य ने ऐसा आचरण किया है, उनसे माफी मंगायी जाये। अगर वह क्षमा नहीं मांगते हैं तो अध्यक्ष उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई करें।