नीतीश तो आ गए दिल्ली, राज्य की जनता कहां दिखाएं अपनी आंख !

पटना से दिल्ली केवल इसलिए आते हैं कि आंख दिखाना है। दशकों तक मुख्यमंत्री रहे, लेकिन एक बेहतर मनमाफिक अस्पताल तक नहीं बना पाए राज्य में ? जो था वह तो कब का बदहाल हो चुका है ? क्यों आखिर नीतीश कुमार को केवल आंख दिखाने के लिए दिल्ली आना पडा ?

नई दिल्ली। बिहार में चौथी बार मुख्यमंत्री के रूप में काम कर रहे हैं नीतीश कुमार। विकास पुरूष और सुशासन बाबू का तमगा लेकर घूमते हैं। बीते विधानसभा चुनाव में भी सात निश्चय और विकास की बात की। लेकिन, राज्य में स्वास्थ्य सेवाओं का हाल इनके राज में इस कदर बदहाल हुआ कि राज्य के अस्पतालों में इन्हें खुद भरोसा नहीं है। यदि राज्य की स्वास्थ्य सेवाओं पर विश्वास होता तो पटना से दिल्ली केवल अपनी आंख दिखाने नहीं आते।

मंगलवार को राजधानी दिल्ली आए। जब पूछा गया कि पटना से दिल्ली यात्रा के क्या निहितार्थ हैं ? कोई राजनीतिक सेंटिंग या विशेष आर्थिक पैकेज की बात ? तो मुख्यमंत्री ने कुछ विशेष नहीं कहा। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने केवल इतना कहा कि यह मेरी निजी यात्रा है। मैं अपनी आंख दिखाने आया हूं।


 

अब सवाल उठता है कि जो व्यक्ति करीब सोलह-सतरह साल से एक राज्य का मुख्यमंत्री है, उसे अपने राज्य से केवल इसलिए बाहर जाना पडता है कि उसे अपनी आंखों की नियमित जांच करानी है, तो राज्य की जनता किस कदर परेशान होगी, कोई भी अंदाजा लगा सकता है। पटना में दशकों से पटना मेडिकल काॅलेज अस्पताल है। कुछ साल पहले एम्स पटना अस्तित्व में आ चुका है। इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान भी मुख्यमंत्री निवास के चंद किलोमीटर की दूरी पर है। ये तीनों राज्य के नामी अस्पतालों में गिने जाने जाते हैं।

क्या मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को इन अस्पताल के डाॅक्टरों पर भरोसा नहीं है ? या इन अस्पतालों में सुविधाओं का अभाव है और नीतीश सरकार केवल कागजों में बिहार में विकास का राग अलापती है ? कोरोना काल में बिहार के स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर जिस प्रकार के दृश्य सामने आए हैं, वह किसी से छिपा नहीं है।

नीतीश कुमार के दिल्ली यात्रा पर राज्य की मुख्य विपक्षी दल राजद ने भी कटाक्ष किया है। पार्टी की ओर से कहा गया है कि इस बार नीतीश कुमार बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिलाने के बाद ही आएंगे। राजद प्रवक्ता चितंरजन गगन ने कहा कि हर बार चुनाव के समय और जब भी भाजपा का दामन थामते हैं, तो नीतीश कुमार विशेष राज्य के दर्जा का ही राग अलापते हैं। देखिए, इस बार यह पूरा होता है या नहीं ?