नई दिल्ली। कोविड19 के समय आपात स्वास्थ्य स्थिति की चुनौतियों को देखते हुए देश में स्वास्थ्य संसाधनों को मजबूत किया जाएगा। इसके लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोमवार को प्रधानमंत्री आयुष्मान भारत हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर मिशन की शुरूआत की। मिशन के तहत ब्लॉक स्तरीय स्वास्थ्य सेवाओं को सुधारने के साथ ही वायरस मॉनिटरिंग के लिए ब्लॉक स्तर पर प्रयोगशालाएं स्थापित की जाएगीं। स्वास्थ्य के क्षेत्र में बुनियादी ढांचे को दुरूस्त कर उन्हेंआत्मनिर्भर बनाया जाएगा। पीएम की इस महत्वकांक्षी योजना के माध्यम से जिला स्तर पर ही बीमारियों की पहचान और उपचार उपलब्ध कराने के जरूरी संसाधन विकसित किए जाएगंं।
दूसरा, पुणे में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (एनआईवी) के अलावा, हम उत्तर, दक्षिण, पूर्व और मध्य भारत में उपयुक्त स्थानों पर एनआईवी स्थापित करेंगे। यह देश के उत्तरी, दक्षिणी, पूर्वी और पश्चिमी हिस्सों में वायरल रिसर्च इको-सिस्टम सुनिश्चित करेगा। प्रधानमंत्री आयुष्मान भारत हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर मिशन के तहत मौजूदा वायरल डायग्नोस्टिक्स और रिसर्च लैब को भी मजबूत किया जाएगा।
आयुष्मान भारत हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर मिशन का एक अन्य महत्वपूर्ण स्तंभ रोग उन्मूलन विज्ञान और स्वास्थ्य संस्थान होगा होगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि बाकी दुनिया से पांच साल आगे, 2025 तक टीबी को खत्म करने का आहृवान किया है। 2030 तक मलेरिया और एचआईवी को खत्म करने का लक्ष्य रखा गया है। कालाजार और कुष्ठ रोग के बोझ को कम करने के लिए इसी तरह के मापन योग्य मील के पत्थर निर्धारित किए गए हैं। किसी आबादी में बीमारी को नियंत्रित करने, उसे खत्म करने, और बाद में इसकी पुनरावृत्ति को रोकने की यह पूरी प्रक्रिया एक विज्ञान है, जिसमें यह संस्थान विशेषज्ञता हासिल करेगा।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने मंगलवार को बताया कि ‘प्रधानमंत्री आयुष्मान भारत स्वास्थ्य अवसंरचना मिशन’ के तहत सभी स्वास्थ्य सेवा सुविधाओं से युक्त दो कंटेनर स्थापित किया जाएंगे, जिन्हें आपात स्थिति में किसी भी स्थान पर ले जाया जा सकेगा। मांडविया ने बताया कि हर कंटेनर में 200 बिस्तरों की क्षमता होगी और इन्हें दिल्ली एवं चेन्नई में स्थापित किया जाएगा। इन कंटेनर को आपात स्थिति में हवाई मार्ग से या ट्रेन के जरिए ले जाया जा सकता है। उन्होंने कहा, ‘‘केंद्र सरकार ने स्वास्थ्यसेवा के क्षेत्र के प्रति ‘प्रतीकात्मक’ नहीं, बल्कि ‘समग्र’ दृष्टिकोण अपनाया है।’’ उन्होंने कहा कि कोविड-19 वैश्विक महामारी ने स्वास्थ्य सेवा संबंधी बुनियादी ढांचे में सुधार करने का अवसर दिया है और इसके लिए 64,000 करोड़ रुपए के निवेश के साथ ‘प्रधानमंत्री आयुष्मान भारत स्वास्थ्य अवसंरचना मिशन’ की शुरुआत की गई।
'PM आयुष्मान भारत हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर मिशन' ब्लॉक स्तर से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक के हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने के लिए लाई गयी महत्वपूर्ण योजना है।
5 साल में ₹64,000 करोड़ इस योजना पर खर्च होंगे जो देश को आने वाली आपदाओं के लिए तैयार करेगी।
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— Dr Mansukh Mandaviya (@mansukhmandviya) October 26, 2021
मंत्री ने कोवैक्सीन को आपातकाल में इस्तेमाल के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा स्वीकृत सूची (ईयूएल) में शामिल किए जाने के मामले पर कहा कि डब्ल्यूएचओ की एक प्रणाली है, जिसमें एक तकनीकी समिति होती है, जिसने कोवैक्सीन को मंजूरी दी है और अब इसके आकलन के लिए इसे एक अन्य समिति के पास भेजा गया है। उन्होंने कहा, ‘‘दूसरी समिति की बैठक मंगलवार को होगी। इस बैठक के आधार पर कोवैक्सीन को मंजूरी दी जाएगी।’’ मांडविया ने एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए यह भी कहा कि देश में लगभग 79,415 स्वास्थ्य और आरोग्य केंद्र संचालित किए जा रहे है और इस प्रकार के कुल 1.5 लाख केंद्र संचालित करने की योजना है। उन्होंने कहा कि हर स्तर पर अच्छी प्रयोगशालाएं होनी चाहिए, भले ही वह जिला स्तर हो या राष्ट्रीय स्तर।
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री आयुष्मान भारत स्वास्थ्य अवसंरचना मिशन एक ऐसी ‘‘महत्वपूर्ण योजना है, जिसके तहत एक जिले में औसतन 90 से 100 करोड़ रुपये का खर्च स्वास्थ्य संबंधी बुनियादी ढांचे पर खर्च किया जाएगा जिसकी मदद से हम आने वाले समय में किसी भी आपदा से लड़ने में सक्षम होंगे।’’