नई दिल्ली। कई राज्य सरकारों ने स्कूल खोलने के आदेश तो दे दिए हैं, लेकिन माता-पिता में आज भी कोरोना का डर है। वो अपने बच्चों को पहले की तरह स्कूल नहीं भेज रही है। कोरोना का डर है। कई माता पिता कहते हैं कि अभी तक बच्चों को लेकर कोई दवा नहीं आई है। आखिर हम बच्चों के जीवन से कैसे खिलवाड़ कर सकते हैं। जीवन रहेगा तो आगे भी पढ़ लेगा।
माता-पिता के इसी सोच को समझते हुए दिल्ली सरकार के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने दिल्ली में स्कूल खोलते समय कहा था कि यदि कोई बच्चा अभी स्कूल नहीं आता है, तो उसे अनुपस्थित नहीं माना जाएगा। स्कूल अभी कुछ समय और ऑनलाइन क्लास जारी रखेंगे।
ऐसा नहीं है कि यह हाल केवल दिल्ली एनसीआर के इलाके में है। बिहार के शिक्षा मंत्री विजय कुमार चौधरी का भी कहना है कि ICMR ने कहा है कि कोविड संक्रमण से वयस्कों के अपेक्षा बच्चे ज़्यादा सुरक्षित हैं। उनके मुताबिक प्राथमिक कक्षाओं को पहले खोलना चाहिए था। परन्तु विद्यालयों में पूरी उपस्थिती नहीं है क्योंकि अभिभावकों के मन में कोविड को लेकर अभी भी डर है।
असल में, कोरोना महामारी के बाद जो भी स्कूल खोले जा रहे हैं, वहां बच्चों को और स्कूल के लोगों को मास्क पहनना अनिवार्य है। सेनिटाइजर की व्यवस्था की गई है। कोशिश की जा रही है कि किसी को जरा सी तबियत खराब होने पर तुरंत उसका इलाज कराया जाए। बीते दिनों पंजाब में कई बच्चे कोरोना के शिकार हुए। कहा गया कि स्कूल खोलने के बाद ये बच्चे बीमार हुए। कुछ अन्य राज्यों से भी ऐसी ही खबरें आ रही हैं।
स्कूल खोलने के आदेश तो मिले, नहीं आ रहे बच्चे
स्कूल खोलने के आदेश तो दिए गए। लेकिन माता पिता के मन में डर कायम है। उपस्थिति बेहद कम है। शिक्षा मंत्री सहित विभागीय अधिकारी को भी इस बात का एहसास है। कोरोना की तीसरी लहर को लेकर लोगों की चिंता है।