नई दिल्ली। भोजपुरी फिल्मों के पावर स्टार पवन सिंह का काराकाट में क्या होगा, अभी नहीं कह सकते. अभिनेता और नेता में फर्क होता है. कल का रोड शो फिल्मी हीरो का था. सबसे बड़ा संकट है कि वे निर्दलीय हैं, ऐसे में परेशानी ये होती है कि पोलिटिकल स्ट्रक्चर नहीं होता, जो चुनाव के लिए जरुरी है. किसी भी गांव में पवन सिंह को जानने वाले
बहुत होंगे, लेकिन वोट प्रबंधन कौन करेगा, यह पता नहीं होगा. जितने भी भोजपुरी हीरो चुनाव जीते हैं, उनके पास
झंडा और निशान रहा है. बगैर झंडा-निशान वाले भोजपुरी सिंगर गुंजन सिंह के चुनावी नतीजे को नवादा में हम-आप समझ ही रहे हैं.
वैसे, आप ये भी कह सकते हैं, निर्दलीय तो पूर्णिया में पप्पू यादव भी लड़ रहे हैं. लेकिन, पवन सिंह और पप्पू यादव में फर्क है. पप्पू यादव के पास गांव-गांव में जाने-पहचाने लोग हैं. फिर वे हर संकरे और चौड़े रास्ते को जानते हैं. वोटर्स हाईवे के कील-कौवों को भी पहचानते हैं.
पवन सिंह जाति से राजपूत हैं, इसलिए काराकाट में राजपूत वोट मिल जाएगा, ये भी कह सकते हैं आप. पर, ये गोलबंदी भी आगे आने वाले दिनों में देखनी होगी. क्योंकि एनडीए के पास काराकाट में राजपूत जाति के कई जमीनी नेता हैं. घर-घर की बहू पूर्व सांसद मीना सिंह हैं. उनकी मदद उपेंद्र कुशवाहा जरुर ले रहे होंगे. फिर, बीजेपी में दोनों भाई मंत्री संतोष सिंह और उनके छोटे आलोक सिंह हैं, जिन्होंने नीतीश कुमार की सरकार को बचाने को आरजेडी-कांग्रेस के विधायकों को तोड़ने में बड़ी भूमिका निभाई. इन सबों का रिश्ता जात-जमात में दिन-रात का है, इसे पवन सिंह सेंध पाएंगे, अभी मान लेना जल्दबाजी होगी. हां, झलक पाने और सेल्फी लेने वाले लड़कों की प्रचंड भीड़ जरुर पवन सिंह के साथ दिखेगी.