नई दिल्ली। हाल ही में कोरोना की चौथी लहर की आशंका जताई गई है। माना जा रहा है कि जून या जुलाई में कोरोना का कोई नया वैरिएंट आएगा। लेकिन जिस प्रकार से कोरोना के खिलाफ भारत में व्यवस्था और टीकाकरण अभियान किया जा रहा है, उसके बाद यह कहा जा रहा है कि अब कोई भी वैरिएंट भारतीयों के लिए अधिक खतरनाक नहीं होगा।
देश भर में कोविड-19 के मामलों में जारी गिरावट के बीच 73 प्रतिशत उत्तरदाताओं का मानना है कि संक्रमण की किसी नई लहर का सभी क्षेत्रों में भर्ती की प्रक्रिया पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा, जबकि 27 प्रतिशत उत्तरदाता भविष्य के बारे में निश्चित नहीं थे। जीनियस कंसल्टेंट्स द्वारा किये गये सर्वेक्षण में यह जानकारी दी गई है।
यह सर्वेक्षण, बैंकिंग और वित्त, इंजीनियरिंग, शिक्षा, एफएमसीजी, आतिथ्य, मानव संसाधन समाधान, आईटी, आईटीईएस और बीपीओ, लॉजिस्टिक्स, विनिर्माण, मीडिया, तेल और गैस, और फार्मा सहित विभिन्न क्षेत्रों में 1,468 अधिकारियों और कर्मचारियों के बीच ऑनलाइन किया गया। इसके अलावा, सर्वेक्षण से पता चला कि 69 प्रतिशत से अधिक उत्तरदाताओं को वायरस के नए वेरिएंट के आने से नौकरी की असुरक्षा की भावना के बढ़ने की आशंका नहीं है।
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— Ministry of Health (@MoHFW_INDIA) March 6, 2022
स्वास्य्य मंत्रालय ने कहा है कि कोरोना के केस कम जरूर हुए हैं लेकिन खत्म नहीं हुए हैं इसलिए अभी भी सबको सभी प्रोटोकॉल को फॉलो करने की जरूरत है। तो वहीं इसी बीच सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एसआईआई) के कोविड-19 रोधी टीके कोवोवैक्स को 12 से 17 साल के बच्चों के लिए आपात उपयोग की अनुमति (ईयूए) देने की सिफारिश की है। इसके साथ ही देश को एक नई कोरोना वैक्सीन मिल गई।