Congress : अंदरूनी कलह पर पहली बार बोले राहुल गांधी, कहा – अंदरुनी लोकतंत्र लाना निश्चित तौर पर जरूरी

कांगे्रस के कई नेता अध्यक्ष और अन्य पदों के लिए चुनाव की मांग करते हैं। पार्टी में वे सर्वसम्मति की परिपाटी को सही नहीं मानते हैं। आंतरिक लोकतंत्र के लिए चुनाव की वकालत करने वाले नेताओं को आजकल गांधी परिवार के हितैषी पार्टी विरोधी बताने पर तुले हुए हैं।

नई दिल्ली। बीते साल भर से कांग्रेस की अंदरूनी राजनीति सही नहीं चल रही है। कई वरिष्ठ नेताओं ने संगठन के केंद्रीय नेतृत्व की कार्यशैली पर सवाल उठाया। हाल ही में पार्टी के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद के मंच पर कई अन्य वरिष्ठ नेताओं ने शिरकत की। उसको लेकर कांग्रेस के भीतर ही बवाल मचा। इन असंतुष्ट नेताओं को जी-23 कहा जाने लगा है। इस मुद्दे पर पहली बार कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष व सांसद राहुल गांधी ने चुप्पी तोडी है।

एक बातचीत के दौरान कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने कहा कि मैं कांग्रेस पार्टी में अंदरुनी लोकतंत्र को बढ़ावा देने की बात कई सालों से कर रहा हूं। इसके लिए मेरी ही पार्टी के लोगों ने मेरी आलोचना की थी। मैंने अपनी पार्टी के लोगों से कहा कि पार्टी में अंदरुनी लोकतंत्र लाना निश्चित तौर पर जरूरी है। यह मेरा आपसे सवाल है।

 

 

असल में, पिछले साल 23 नेताओं ने सोनिया को पत्र लिखा था। जिसमें कांग्रेस के लिए रेगुलर अध्यक्ष की मांग पर जोर दिया गया था। पत्र में कांग्रेस में फैसले लेने की प्रक्रिया पर सवाल उठाए गए थे। G-23 के सवालों का कांग्रेस नेतृत्व पर खास असर नहीं है। जम्मू में असंतुष्ट कांग्रेसी नेताओं ने मीटिंग की है। जिसमें गुलाम नबी आजाद के नेतृत्व पर भरोसा जताया गया है। गुलाम नबी आजाद ने कहा कि राज्यसभा से रिटायर हुए हैं। अभी राजनीति से रिटायर नहीं हुआ हूं। आनंद शर्मा ने कहा कि कांग्रेस कमजोर हो गई है। इसमें युवाओं को जोड़ना होगा। कपिल सिब्बल ने कहा है कि आजाद हर जिले की कांग्रेस को जानते हैं। पीएम मोदी ने भी आजाद की सराहना की है।

कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ने कहा बगावत किसके खिलाफ । सोनिया गांधी जी के नेतृत्व में हम सब विश्वास करते हैं उनकी प्रशंसा भी करते हैं। आज तक मैंने एक शब्द और एक टिप्पणी भी नेतृत्व के ख़िलाफ नहीं बोली है।

बता दें कि जून महीने में कांग्रेस के अध्यक्ष पद के लिए चुनाव होना है। जिसमें अध्यक्ष पद के लिए AICC के करीब 1500 सदस्य वोटर हैं। 5 राज्यों के इलेक्शन के चलते चुनाव टाल दिया गया है। CWC और CEC में भी लंबे समय से चुनाव नहीं हुए हैं। पार्टी संविधान में बूथ लेबल से चुनाव का प्रावधान किया गया है। 5 साल के लिए कांग्रेस का अध्यक्ष चुना जाता है। ज्यादातर चुनाव की जगह आम सहमति की परिपाटी बनी हुई है। G-23 ने संगठन में हर स्तर पर चुनाव की मांग की है। अध्यक्ष पद पर आखिरी चुनाव 2000 में हुए थे। साल 2000 में जितेंद्र प्रसाद सोनिया के खिलाफ चुनाव लड़े थे।