नई दिल्ली। संसद के मानसून सत्र के पहले केंद्रीय मंत्रिमंडल के विस्तार तय मानी जा रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) अपने मंत्रियों के कामकाज की समीक्षा कर रहे हैं। संघ भी तमाम मंत्रियों के कामकाज पर पैनी नजर रखे हुआ है। कई राज्यों में अगले साल चुनाव हैं, उसका भी ध्यान रखा जाएगा। कई नए लोगों को मंत्री बनाए जाने की चर्चा है। इससे सवाल है कि झारखंड (Jharkhand) के हिस्से में क्या आएगा ? क्या अर्जुन मुंडा के साथ कोई और झारखंड दिल्ली में अपना प्रतिनिधित्व करेगा ?
प्राप्त जानकारी के अनुसार, प्रधानमंत्री कार्यालय अभी तक लगभग दो दर्जन मंत्रियों के कामकाज की समीक्षा कर चुका है। कई रिपोर्ट और आ चुकी है। कुछ मंत्रियों के छुट्टी किए जाने की चर्चा जोरों पर है। बता दें कि मोदी सरकार में अभी 60 मंत्री हैं, जबकि संविधान के अनुसार इनकी संख्या 79 तक हो सकती है। कई मंत्रियों के पास दो से तीन मंत्रालय हैं। वैसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समय-समय पर विभिन्न मंत्रियों और उनके मंत्रालयों के कामकाज की समीक्षा करते रहते हैं।
बात हम झारखंड की करें, तो पांच सांसदों के नाम पर दिल्ली में मंथन चल रहा है। भाजपा के रणनीतिकार और संघ की ओर से मंतव्य दिया जा चुका है। अंतिम निर्णय भाजपा अध्यक्ष, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी केे बीच ही तय होना है। सूत्रों का कहना है कि झारखंड से अन्नपूर्णा देवी, पीएन सिंह, सुनील सिंह, विद्युत वरण महतो और सुनील सोरेन का नाम है। इन पांच में से एक को मंत्री बनाया जा सकता है। यह तो अंतिम समय में ही पता चलेगा कि केंद्रीय मंत्रिमंडल में किसे शपथ लेने का अवसर मिलता है।
अन्नपूर्णा देवी (AnnaPurna Devi)पर भाजपा महासचिव भूपेंद्र यादव का वरदहस्त है। उनके कारण ही इन्हें पार्टी में केंद्रीय उपाध्यक्ष का पद मिला। अन्नपूर्णा देवी राजद से आईं और यादव समुदाय से आती हैं। यदि इन्हें मंत्रिमंडल में शामिल कराया जाता है, तो झारखंड और बिहार के यादव पर इसके सकारात्मक असर पडने की बात की जा रही है।
संघ की ओर से सांसद पीएन सिंह (PN Singh) और सुनील सिंह (Sunil Singh) की सहमति बताई जाती है। पीएन सिंह लंबे समय से सांसद हैं और कोयलांचल में पार्टी संगठन को मजबूत करने में इनकी अहम भूमिका रही। सुनील सिंह चतरा से सबसे अधिक वोटों से लगातार जीतने वाले सांसद हैं। दोनों राजपूत समुदाय से आते हैं। यह सच है कि झारखंड में राजपूत मतदाताओं की संख्या अधिक नहीं है, लेकिन इसका लाभ बिहार और पूर्वांचल के राजपूत वोटरों को रिझाने मे ंपार्टी कर सकती है। कहा जा रहा है कि पीएन सिंह की उम्र अधिक हो चुकी है। ऐसे में सुनील सिंह आगे निकल सकते हैं। वे विद्यार्थी परिषद से ही जुडे हुए हैं और लगातार क्षेत्र और संगठन के लिए कार्य करते रहे हैं। सांसद सुनील सिंह की राजनीति झारखंड में चतरा की है और वे मूलतः बिहार के हैं। अगले साल उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव होना है। पूर्वांचल में राजपूत वोटरों की संख्या अधिक है। ऐसे में सुनील सिंह एक साथ तीन राज्यों की राजनीति को प्रभावित कर सकते हैं।
जो लोग संघ (RSS) और भाजपा (BJP) के संबंध को बेहतर तरीके से जानते हैं उन्हें पता है कि संघ की इच्छा का भाजपा पूरा सम्मान करती है। बता दें कि सुनील सिंह छात्र जीवन से ही अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से होते हुए भाजपा युवा मोर्चा के केंद्रीय महासचिव बने थे। उस समय संघ की ओर से युवा मोर्चा को दत्तात्रेय होसबोले दिशा-निर्देश दे रहे थे। वर्तमान में जब केंद्रीय मंत्रिमंडल में फेरबदल होना है, तो दत्तात्रेय होसबोले संघ के सह सरकार्यवाह के रूप में जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। दिल्ली में इसके कई मायने निकाले जा रहे हैं।
जमशेदपुर के सांसद विद्युत वरण महतो (Vidyut Varan Mahto)जिस समुदाय से आते हैं, झारखंड की जातीय राजनीति में वो आदिवासी के साथ बेहद अहम मानी जाती है। दो बार के सांसद भी हैं। मगर संघ से जुडे लेागों का कहना है कि ये झारखंड मुक्ति मोर्चा से भाजपा में आए तो सही, लेकिन अभी भी वे पूरी तरह से भाजपाई नहीं बन पाए हैं। इन पर पार्टी का पूरा भरोसा अभी तक नहीं बन पाया है। इनकी कार्यसंस्कृति आज भी झामुमो जैसी ही दिखती है।
दुमका के सांसद सुनील सोरेन (Sunil Soren) युवा हैं। आदिवासी हैं। सबसे खास कि झामुमो के केंद्रीय अध्यक्ष शिबू सोरेन को हराकर संसद पहुंचे। आदिवासी होने के कारण इनको राज्यमंत्री बनाने की चर्चा लुटियंस दिल्ली में उठी है। दिक्कत ये है कि झारखंड की राजनीति में पूरा दमखम रखने वाले केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा नहीं चाहेंगे कि उनके रहते कोई दूसरा आदिवासी चेहरा केंद्रीय मंत्रिमंडल में आए और वो भी उनके ही प्रदेश से। प्रदेश की राजनीति में अर्जुन मुंडा (Arjun Munda) को बाबूलाल मरांडी को अब साधना पड रहा है। ऐसे में भला वो पूरी कोशिश करेंगे कि सुनील सोरेन किसी मंत्रालय तक नहीं पहुंचे।