नई दिल्ली। न केवल मारपीट बल्कि छेड़छाड़ का शिकार भी हुईं । स्वाति ने यहां तक गुहार मचाई कि उन्हें पीरियड्स आये हुए हैं और परेशान न किया जाये लेकिन केजरीवाल के निजी सहायक विभव कुमार स्वाति को पीटते रहे और दुख की बात यह कि विभ कुमार दे दनादन स्वाति को पीटते रहे ! अभी केजरीवाल को तिहाड़ जेल से जमानत पर बाहर आये जुम्मा आठ दिन भी नहीं हुए कि यह नयी मुसीबत आन पड़ी ! दिल्ली पुलिस ने स्वाति मालीवाल की शिकायत पर उनके साथ मारपीट और छेड़छाड़ का केस दर्ज कर लिया है और मुख्यमंत्री आवास पर ले जाकर पूरा सीन रिक्रियेट किया पौने घंटे तक ! घटनास्थल के आसपास लगे सीसीटीवी कैमरे भी खंगाले जा रहे हैं। उधर विभव कुमार अपने आवास से गायब है ।
स्वाति ने यहां तक आरोप लगाया कि विभव ने न केवल उसे गालियां दीं बल्कि थप्पड़ भी मारे। यहां तक कि विभव ने उनकी छाती, पेट और पेट के नीचे तक पैर से चोट की । उसके बटन खुल गये और शर्ट भी खुल गयी, जिससे वह गिर गयी और विभव मारता रहा! यह सारा माजरा होता है एक मुख्यमंत्री के सरकारी आवास पर, जहां सुरक्षाकर्मियों ने भी महाभारत के धृतराष्ट्र की तरह आंखें बंद रखीं और कोई गांधारी आंखों पर पट्टी बांधे बैठी रही ! यह बहुत बड़ा दुखांत है कि एक मुख्यमंत्री के आवास पर फिर जैसे विभव जैसा दुशासन स्वाति जैसी द्रौपदी के सम्मान को भरे महल में उछाल रहा था और सुरक्षाकर्मी पांडवों की तरह सिर झुकाये हुए खड़े थे !
क्या राजनीति में महिलाओं का यही स्थान है और क्या इनके लगा तीस प्रतिशत आरक्षण का बिल लाने जायेंगे ? नारी का यही सम्मान है? एक निजी सचिव जितने चाहे लात घूंसे मार दे? फिर गायब भी हो जाये? सुरक्षा में चूक नहीं तो और क्या कहेंगे इसे? नारी का घोर अपमान नहीं तो क्या कहेंगे इसे ?
आपको याद हो कि कांग्रेस की प्रवक्ता प्रियंका चतुर्वेदी ने कांग्रेस छोड़ते समय ऐसे ही आरोप लगाये थे और यह भी कहा था कि कांग्रेस हाईकमान तक ने मेरी शिकायत पर कोई ध्यान नहीं दिया। इसी प्रकार एकट्रेस नगमा ने भी मेरठ में भीड़ द्वारा धक्का मुक्की किये जाने की शिकायत की थी और वे भी कांग्रेस से दूर हो गयीं ! कभी स्वर्गीय सुषमा स्वराज ने भी ऐसे अभद्र व्यवहार का सामना किया था ! जयललिता के साथ कितना बुरा व्यवहार किया गया था !
हालांकि सत्ता में आने पर जयललिता ने भी करूणानिधि के साथ उससे भी बुरा सलूक किया था! यह राजनीति है और इसमें व्यक्तिगत बदले की भावना क्यों? मायावती के साथ भी उत्तर प्रदेश के एक विश्रामगृह में ऐसे ही बुरा व्यवहार किया गया था! यह राजनीति है, इसे महाभारत की रणभूमि न बनाइये!