नई दिल्ली। स्वर्गीय रतन टाटा के निधन से देश ने एक विशिष्ट व्यक्तित्व वाला, सच्चा देशभक्त खो दिया है, जिसमें असाधारण प्रतिभा विद्यमान थीं। बह दिल से बहुत उदार थे और एक सच्चे देश भक्त थे। मुझे याद है की जब हम एक समारोह में मिले तो मुझे देखते ही बह मुस्करा दिए और उन्होंने मेरा हाथ पकड़कर कहा” शहनाज़, तुमने आयुर्वेद को विश्व स्तर पर पहुंचाया है और मैंने भारत को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दी है”। रतन टाटा जी को में जब भी मिलती थी तो वह मेरे दिल में अपनी सादगी, दरियादिली और नेकनीयती की एक गहरी छाप छोड़ देते थे। वह भारतीय मूल्यों और आदर्शो में धबजबाहक थे जिन्होंने बिश्व मानचित्र पर भारत की छबि को उभारने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है। उन्होंने देशवासियों के दिल में एक गहरी छाप छोड़ी है और देश के लोग जमीन से जुड़े देशभक्त को हमेशा दिल की गहरायिओं से याद करेंगे। उन्होंने विश्व मानचित्र पर भारतीय उद्योगों को पहचान दिलाई और पुरे विश्व को भारत के उद्योगों और उद्यमियों की क्षमता से रूबरू करवाया की कैसे भारत स्वतन्त्र रूप से विश्व की अर्थ व्यवस्था में अपना योगदान दे सकता है और भारतीय उत्पादों को बिश्व स्तर पर बिशिष्ट पहचान दी। मैं दुखी हृदय से जब यह श्रद्धांजलि लिख रही हूं, तो मेरे मन में उनके व्यक्तित्व की छवि झलक रही है जब बह मुझे संघर्ष, मेहनत, समर्पण और सच्चे भाव से भारत को आर्थिक मानचित्र पर उभारने के लिए प्रेरित करते थे। मुझे लगता की असाधारण व्यक्तित्व के ऐसे महान पुरुष का दुवारा अतवरण इस धरती पर मुश्किल होगा