जब तक वैक्सीन नहीं, तब तक सावधानी जरूरी: डाॅ बलराम भार्गव

भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद, आईसीएमआर के महानिदेशक डाॅ बलराम भार्गव ने साफतौर पर कहा कि जब तक कोरोना वैक्सीन को देश में टीकाकरण के लिए अनुमति नहीं मिलती है और लोगों को नहीं लगता है, तब तक सुरक्षा ही बचाव है।इनसे सुभाष चन्द्र ने बात की। पेश है उस उनसे की गई बातचीत के प्रमुख अंश:

सवाल: जब तक वैक्सीन नहीं आता और सभी को नहीं लगता है, उस समय तक क्या किया जाए ?
जवाब: जब तक कि कोई प्रभावी वैक्सीन उपलब्ध नहीं होता, तब तक वायरस के संक्रमण को रोका जा सकता है, यदि हम पूरी निष्ठा से भौतिक दूरी (दो गज की दूरी), सार्वजनिक तौर पर एवं कार्यस्थलों पर मास्क का प्रयोग तथा हाथों को साबुन से धोने जैसे नियमों का पालन करें। पिछले तीन महीनों में लोगों में कोविड-19 से रोकथाम संबंधी जागरूकता बढ़ी है। अधिक संख्या में लोगों द्वारा सुरक्षात्मक उपायों को अपनाने तथा अनावश्यक यात्रा को टालकर दैनिक मामलों में कमी देख सकते हैं।

सवाल: कोविड-19 के मद्देनजर आईसीएमआर ने कई दिशा-निर्देश जारी किए हैं। इस महामारी के नियंत्रण के लिए लोगों के बीच सूचना के संप्रेषण के लिए किन तौर-तरीकों को अपनाया जा रहा है?
जवाब: आईसीएमआर और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा कोविड-19 रोग नियंत्रण, इसके अल्पीकरण तथा प्रबंधन से जुड़े विभिन्न पहलुओं को संबोधित करते हुए दिशा-निर्देश जारी किए जा रहे हैं। आईसीएमआर ने आम जनता से सार्वजनिक स्थलों पर धुआंरहित तम्बाकू का सेवन नहीं करने और ना ही थूकने की अपील की है। जोखिम से संबंधित संचार के संवर्धन के लिए अनेक उपाय किए गए हैं। आमजन के बीच जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा अनेक सूचनाप्रद लघु फिल्में तथा इंफोग्राफिक बनाई गयी हैं। समाज में लोगों के बीच जागरूकता फैलाने के लिए सूचना पत्रकों का वितरण, जन घोषणाएं, मास एसएमएस तथा सोशल मीडिया का उपयोग किया जा रहा है।
इसके अतिरिक्त रेडियो तथा टेलीविजन (लोकल चैनल का प्रयोग करते हुए) का व्यापक प्रयोग भी किया जा रहा है, ताकि लक्षित समुदाय तक स्वास्थ्य संदेश पहुंचाना सुनिश्चित किया जा सके।

सवाल:क्या चिकित्साकार्मिकों तथा स्वास्थ्यकर्मियों को कोविड-19 के लिए कोई विशेष प्रशिक्षण प्रदान करने की आवश्यकता पड़ी?
जवाब: विभिन्न सरकारी एवं गैर सरकारी एजेंसियों द्वारा चिकित्सा एवं प्रयोगशाला कार्मिकों और स्वास्थ्यकर्मियों को कोविड-19 के लिए कई विशेष प्रशिक्षण तथा कार्यशालाओं का आयोजन किया गया है। सरकार ने कोविड-19 से मुकाबले हेतु डाॅक्टरों और स्वास्थ्यकर्मियों को प्रशिक्षित करने के लिए आईजीओटी पोर्टल लांच किया है। प्रयोगशाला कर्मियों को रूटीन प्रयोगशाला संबंधी प्रक्रियाओं जिसके अंतर्गत बायोसेफ्टी लेवल 2 (बीएसएल-2) सुविधा शामिल होती है तथा वे मरीज जो कोविड-19 संक्रमण के लिए संदिग्ध हैं या जिनकी पुष्टि हो गयी है, उनके क्लीनिकल स्पेसिमन की हैंडलिंग के दौरान गुड माइक्रोबायोलाॅजिकल टेक्नीक (जीएमटी) का पालन करने के लिए आईसीएमआर प्रशिक्षण प्रदान कर रहा है।

सवाल: भारत में, विश्व के अन्य देशों की तुलना में कोविड संक्रमण संबंधी मृत्यु दर कम तथा ठीक होने की दर अधिक है। इससे क्या संकेत मिलता है? कुछ लोगों का मत है कि इस घातक वायरस से लड़ने में भारत के लोगों की रोग-प्रतिरोधक क्षमता बेहतर है?
जवाब: कोविड संक्रमण संबंधी मृत्यु दर कम होने को लेकर कोई वैज्ञानिक अध्ययन अभी नहीं है। हां, भारत में इस विश्वव्यापी महामारी के नियंत्राण के लिए समयबद्ध कार्यवाही, उपयुक्त तैयारी, युवा आबादी की अधिकता, हमारी रोग-प्रतिरोधक प्रणाली आदि अनेक कारकों की वजह से हो सकता है कि कोविड संक्रमण से यहां मृत्यु दर कम हो।

सवाल: कोविड मामलों के नियंत्रण में क्या प्लाज्मा थिरेपी असरदार है?
जवाब: मौजूदा समय में कोविड-19 के लिए कोई स्वीकृत या निर्णायक उपचार नहीं है। स्वास्थ्य हेतु लाभकारी प्लाज्मा थिरेपी नई उभरती हुई उपचार पद्धतियों में से एक है। हालांकि रोजमर्रा के इलाज के लिए इसके समर्थन में कोई ठोस प्रमाण उपलब्ध नहीं है। अमरीकी एफडीए भी इसे एक प्रायोगिक उपचार के रूप में देखता है। स्वास्थ्य लाभकारी प्लाज्मा थिरेपी की अपनी तकनीकी चुनौतियां हैं जैसे कि एंटीबाडी टाइटर टेस्टिंग। इस थिरेपी के कई जोखिम भी हैं जैसे घातक एलर्जी और फेफड़ों के घाव। इस थिरेपी से जुड़ी गंभीर अनिश्चितताओं के कारण आईसीएमआर ने भारत में कोविड-19 मरीजों में इस थिरेपी के प्रयोग संबंधी सुरक्षा और प्रभाव के मूल्यांकन के लिए एक बहु-केंद्र क्लिनिकल ट्रायल शुरू किया है। मरीजों में कोविड-19 स्वास्थ्य लाभकारी प्लाज्मा थिरेपी प्रयोग करने की नैतिक सत्यनिष्ठ को सुनिश्चित करने तथा इसके वैज्ञानिक आधार को स्थापित करने की जरूरत है।

सवाल: कोविड-19 बिना लक्षण वाले कोरोनावायरस के मानव वाहकों द्वारा खामोशी से फैल रहा है। इस खतरे को कैसे रोका अथवा कम किया जा सकता है?
जवाब: बिना लक्षण वाले कोरोनावायरस के मानव वाहकों की संक्रामकता का कोई स्पष्ट साक्ष्य नहीं है। फिर भी हमें इस संक्रमण से बचने के लिए पूर्व में बतायी गयी सभी सावधानियां बरतनी चाहिए।

सवाल: लोगों को किस प्रकार इस वायरस के साथ रहना सीखना होगा तथा हमें हमारी दैनिक जीवनशैली में कैसा परिवर्तन लाना जरूरी है?
जवाब: जैसा कि मैंने पहले बताया, स्वास्थ्य से जुड़ी अच्छी आदतें जिसके अंतर्गत नियमित रूप से हाथ धोना, संतुलित आहार, व्यायाम तथा पर्याप्त भौतिक दूरी और सार्वजनिक एवं कार्यस्थलों पर मास्क का प्रयोग करते हुए हम ऐसी मुश्किल घड़ी में अपने आप को सुरक्षित रख सकते हैं।

सवाल: कोविड-19 को लेकर लोगों को जागरूक करने में विज्ञान संचार महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। क्या आप इस महामारी से मुकाबले के लिए वैज्ञानिक जागरूकता के लिए कोई विचार अथवा सुझाव साझा करना चाहते हैं?
जवाब: इस कोविड युग में प्रभावी विज्ञान संचार समय की मांग है। काफी लंबे समय से वैज्ञानिकों तथा आमजन के बीच संवाद की कमी रही है। हमें समाज में शीघ्रतापूर्वक सूचनाएं पहुंचाने के लिए बेहतर संपर्क एवं ज्ञान के शीघ्र स्थानांतरण के लिए एक सेतु का निर्माण करना होगा। मुझे यह देख कर प्रसन्नता होती है कि भारत की सभी विज्ञान और प्रौद्योगिकी एजेंसियां निरंतर इस खालीपन को भरने के लिए कार्य कर रही हैं। मैं यह महसूस करता हूँ कि आज के दिन सामान्य जन भी कोविड-19 से जुड़ी महत्वपूर्ण बातों जैसे कि इसके संक्रमण और जांच आदि को समझ रहा है। न्यूज चैनल म्यूटेशन तथा हर्ड इम्यूनिटी जैसे जटिल मुद्दों पर चर्चा कर रहे हैं। हमें इस तरह के प्रयास पर काम करते रहना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि समाज में केवल सही और तर्कसंगत सूचना पहुंचे।