सुरक्षा ही नहीं, सामाजिक चेतना के लिए भी काम कर रहा है डेटॉल

कोरोना काल में लोगों ने व्यक्तिगत स्तर पर स्वास्थ्य सुरक्षा पर अधिक ध्यान दिया है। इस दौर में चेतना को लेकर भी बातें शुरू हुई हैं। अब अपने फ्लैगशिप कैम्पेन डेटॉल ‘बनेगा स्वस्थ इंडिया’ के अंतर्गत आरबी ने सफल डेटॉल स्कूल हाइजीन एज्युकेशन प्रोग्राम की सोशल रिटर्न ऑन इनवेस्टमेन्ट (एसआरओआई) इवेल्युएशन स्टडी रिपोर्ट लॉन्च की है। यह रिपोर्ट आईएससी-एफआईसीसीआई इंडियन सैनिटेशन कॉन्क्लेव 2020 में लॉन्च हुई। इसकी वर्चुअल चर्चा कोविड-19 के समय में स्कूलों में ‘वाश’ के लिये एक एकीकृत दृष्टिकोण की जरूरत पर केन्द्रित थी।

रेकिट बेनकिसर हेल्थ एएमईएसए में एक्सटर्नल अफेयर्स और पार्टनरशिप्स के डायरेक्टर रवि भटनागर का कहना है कि हम डेटॉल बीएसआई में सभी के लिए स्वास्थ्य और स्वच्छता के विचार पर विश्वास करते हैं। डेटॉल स्कूल क्युरिक्युलम हमारे डेवलपमेन्ट पार्टनर्स के साथ भागीदारी में प्रस्तुत किया गया था, ताकि आयु के लिए उपयुक्त व्यवहार के आधार पर छोटे बच्चों के व्यवहार में बदलाव किया जा सके। हमारा लक्ष्य स्वच्छ वातावरण को सुगम बनाने और बच्चों में संक्रमण के फैलाव को रोकने में ‘वाश’ का महत्व निर्मित करने की जरूरत पर जोर देना है।

चर्चा में आगा खान फाउंडेशन की सीईओ सुश्री टिन्नी साहनी ने कहा कि स्कूलों में हाइजीन प्रोग्राम्स के माध्यम से हमने बच्चों और पैरेन्ट्स का रोल रिवर्सल देखा है, जिसमें बच्चों ने हाथ धोने का सही तरीका सिखाने की भूमिका अपना ली है। वे स्वास्थ्य और स्वच्छता पर जागरूकता फैलाने में समुदायों के एजेंट ऑफ चेन्ज बन गये हैं। हमारा मानना है कि हाइजीन क्युरिक्युलम रोजाना की स्कूली शिक्षा का हिस्सा होना चाहिये। जैसा कि हम महामारी के समय देख चुके हैं, खुद को रोगों से बचाने का एकमात्र तरीका है हाथ धोना।

इस रिपोर्ट में कहा गया है कि डेटॉल स्कूल हाइजीन एज्युकेशन प्रोग्राम ने निवेश किये गये प्रत्येक 1 रूपये पर 33.05 रूपये की सोशल वैल्यू दी है। 15.9 करोड़ रूपये के शुरूआती निवेश ने स्वच्छता के महत्वपूर्ण उपायों पर जोर देने के लिए रचनात्मक मंचों के उपयोग, स्कूलों में संरचित हाइजीन सेशंस, कई स्तरों पर प्रशिक्षण में सहयोग, आदि जैसे नवाचारों के माध्यम से अच्छे परिणाम पाए हैं और हमने 526 करोड़ रूपये का सोशल वैल्यू दिया है। कोविड-19 के फैलाव को रोकने के लिये हाथों की स्वच्छता अत्यंत महत्वपूर्ण है, ऐसे समय में स्टूडेन्ट्स द्वारा स्वच्छता अभ्यासों को अपनाने में 86 प्रतिशत बढ़त देखी गई।