UP Assembly Election 2022 : अचानक विकास छोड़कर हिंदुत्व की राह पर क्यों आ गई भाजपा ?

उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री केशव मौर्य ने "अयोध्या और काशी में भव्य मंदिर निर्माण जारी है, मथुरा की तैयारी है" के साथ जब ट्वीट किया तो राजनैतिक हलकों में भाजपा के हिंदुत्व मुद्दे की मजबूत हो रही पिच के कयास लगाए जाने शुरू कर दिए गए। मथुरा की बात का जिक्र होते ही सिर्फ उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री केशव मौर्य ही नहीं बल्कि भाजपा के कई सांसदों ने अयोध्या, काशी के बाद मथुरा को चुनावी एजेंडे की राह पर ले जाना शुरू कर दिया।

नई दिल्ली। पूरे जोर शोर से उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव का प्रचार चल रहा है। कोरोना के कारण भले ही शुरुआत में केंद्रीय चुनाव आयोग की ओर से केवल डिजिटल प्रचार और पाबंदियों के साथ वोटरों से मिलने की अनुमति दी थी, लेकिन जैसे जैसे पाबंदी में ढील दी जा रही है प्रचार में तेजी आ रही है। सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी राज्य में सरकार से बाहर होना नहीं चाहती है। इसके लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की छवि को केंद्रीय भाजपा की ओर से पूरा धार दिया जा रहा है। भगवामय भाजपा का चुनाव प्रचार हो रहा है। लेगों को उम्मीद थी कि 21वीं सदी में उत्तर प्रदेश सरकार अपने कामकाज और केंद्र सरकार के कार्यों को लेकर चुनाव में जनता के बीच जाएगी, लेकिन यह क्या ! मुददा तो पुराना ही है। हिंदुत्व और राष्ट्रवाद। कैराना और धर्म विशेष के प्रत्याशियों सहित अपराधियों को प्रश्रय देने पर विपक्षी पार्टियों पर हमलावर।
इस बात को उस समय और बल मिलता है, जब चुनाव अधिसूचना जारी करने के बाद केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह अपने चुनाव प्रचार की शुरुआत पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कैराना से करते हैं। कैराना में हिंदुओं के पलायन का मुद्दा उठाते हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ मुख्य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी के प्रत्याशियों की सूची आते ही कैराना से प्रत्याशी नाजिद हसन और रामपुर से आजम खां की उम्मीदवारी पर हमलावर हो जाते हैं। उनके साथ पूरी यूपी सरकार लग जाती है। ऐसे में बरबस ही मन में सवाल कौंधता है कि क्या भाजपा को केवल यही मुद्दा शूट करता है ? हिंदुत्व और राष्ट्रवाद की मिश्री-मलाई क्या पाएगी भाजपा का बेड़ा पार कर देगी ? इसके साथ ही जिस प्रकार से नेताओं का भाजपा में आना हो रहा है, वह भी सवाल उठता है।

चचाजान, अब्बा जान, जिन्ना, मदरसा, अयोध्या, काशी और अब मथुरा। यह वे नाम हैं जो इस वक्त उत्तर प्रदेश की राजनीति में न सिर्फ चर्चा का विषय बने हुए हैं, बल्कि राजनीतिक मंच से इनका खुलकर इस्तेमाल भी किया जा रहा है। उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव नजदीक आते ही भाजपा की ओर से चुनावी जमीन को और मजबूत करने के लिए राजनैतिक पिच को तैयार किया जा रहा है। विपक्षी पार्टियों का कहना है कि भाजपा को अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों के परिणाम का अंदाजा हो गया है। यही वजह है कि अब वह अपने उसी पुराने ढर्रे पर आ रही है, जिसमें वह लगातार हिंदुत्व को आगे करके चुनाव लड़ती आ रही है।
केशव प्रसाद मौर्य ने ही नहीं बल्कि योगी सरकार के श्रम एवं रोजगार मंत्री रघुराज सिंह भी बीते सप्ताह कुछ ऐसे ही बयान देकर चर्चा में आ गए थे। रघुराज सिंह ने कहा था कि अगर भगवान ने उन्हें मौका दिया तो पूरे देश के मदरसे बंद करा देंगे। सिंह का कहना था कि दरसल मदरसे आतंकियों को प्रशिक्षण देने के अड्डे बन चुके हैं। उन्होंने आंकड़े पेश करते हुए कहा था कि पहले उत्तर प्रदेश में महज ढाई सौ मदरसे होते थे। अब इनकी संख्या बढ़कर 22 हजार के करीब हो गई है। उन्होंने मदरसों पर हमला बोलते हुए कहा कि यहां पर जब आतंक की पढ़ाई होगी, तो आतंकी ही निकलेंगे। इसलिए इन्हें तो पूरी तरह से बंद कर दिया जाना चाहिए। हिंदू-मुस्लिम करते हुए योगी सरकार के मंत्री सिर्फ यहीं नहीं रुकते हैं। बल्कि वे यह तक कहते हैं कि केरल में इस्लामिक पाठ चल रहा है। इसलिए वहां की सरकार को तत्काल प्रभाव से बर्खास्त कर दिया जाना चाहिए।