राहुल गांधी का केंद्र सरकार पर आरोप, चर्चा तक नहीं करने देती सरकार

संसद या विधानसभा ठप्प कर देने और सड़क जाम कर देने वाले को मजबूत विपक्ष माना जाएगा या सरकार की नीतियों का तार्किक और वैज्ञानिक तरीके से सतत विरोध करने वाले को मजबूत विपक्ष माना जाएगा?

नई दिल्ली। कांग्रेस सांसद राहुल गांधी लगातार केंद्र सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमलावर हो रहे हैं। अपने केरल दौरे के दौरान उन्होंने केंद्र सरकार की कई योजनाओं की खामियां बताईं। किसानों के मुद्दे और महंगाई को लेकर सवाल किए। अब उन्होंने कहा कि यह सरकार चर्चा तक नहीं करने देती। आखिर, लोकतांत्रिक व्यवस्था में कोई हमसे यह अधिकार भी कैसे छीन सकता है?

कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने कहा कि पहली बार दिल्ली में एक सरकार(केंद्र सरकार) है जो अपनी इच्छा और ताकत न्यायपालिका पर थोप रही है। सरकार न्यायपालिका को वो नहीं करने दे रही है जो उसे करना चाहिए। और ऐसा सिर्फ न्यायपालिका के साथ ही नहीं है, वो हमें लोकसभा और राज्यसभा में चर्चा नहीं करने देते। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा कि वो एक के बाद एक चुनी हुई सरकारों को गिराते हैं। आज़ाद भारत में पहली बार चुनाव जीतने का मतलब चुनाव हारना है और चुनाव हारने का मतलब चुनाव जीतना है। लेकिन वो सच का सामना करने से बच नहीं सकते हैं।

संसद या विधानसभा ठप्प कर देने और सड़क जाम कर देने वाले को मजबूत विपक्ष माना जाएगा या सरकार की नीतियों का तार्किक और वैज्ञानिक तरीके से सतत विरोध करने वाले को मजबूत विपक्ष माना जाएगा? निश्चित रूप से इन सवालों पर देश में कोई विचार नहीं करता है लेकिन मुंह उठाते ही यह कह देने वाले हर जगह बैठे हैं कि विपक्ष कमजोर है या देश में मजबूत विपक्ष होना चाहिए।

बता दें कि देयर इज नो ऑल्टरनेटिव यानी टीना फैक्टर की पहले भी चर्चा होती थी। नेहरू की जगह कौन लेगा या इंदिरा के जैसा कहां से लाएंगे जैसी बातें पहले भी होती थीं। इसलिए आज अगर यह विमर्श है कि मोदी की जगह कौन ले सकता है तो उसका सिर्फ एक ही मकसद है, लोगों के दिल दिमाग में यह बात बैठाना कि विपक्ष का नेता नकारा है, मोदी की तुलना में वह कुछ नहीं है और इसलिए मोदी का विकल्प नहीं है। मोदी है तो मुमकिन है का नारा भी इसी विमर्श का हिस्सा है।