अमेरिका को लेकर क्यों खुश हो रहे हैं अन्य देश ?

दिसंबर 2015 में पेरिस समझौते को स्वीकार किए जाने के समय केरी अमेरिकी विदेश मंत्री थे। प्रतीकात्मक भाव के तौर पर उन्होंने अप्रैल 2016 में संयुक्त राष्ट्र में संधि पर हस्ताक्षर किए थे। उसक समय उनके साथ उनकी पोती भी साथ थी।

जेनेवा। वैश्विक स्तर पर जब भी कोई बडी घटना होती है, तो उसमें अमेरिका की ताकत का अहसास सभी को होता है। जब पर्यावरण संरक्षण और पेरिस समझौते पर बात हो और अमेरिका की उसमें एक बार और सहमति होती है, तो पूरा विश्व उसे एक नई उम्मीद के साथ देखता है। इसके दूरगामी परिणाम भी होते हैं।

असल में, शुक्रवार को अमेरिका ने आधिकारिक तौर पर पेरिस जलवायु समझौते में वापसी की घोषणा की। संयुक्त राष्ट्र महासचिव गुतारेस ने कहा, ‘‘आज उम्मीद का दिन है, क्योंकि अमेरिका आधिकारिक रूप से पेरिस समझौते में शामिल हुआ है। यह अमेरिका और दुनिया के लिए एक अच्छी खबर है।’’ गुतारेस ने अमेरिका के पेरिस समझौते में फिर से शामिल होने के मौके पर शुक्रवार को आयोजित एक आनलाइन कार्यक्रम में कहा, ‘‘आप सभी के साथ और विशेष रूप से विशेष दूत जॉन केरी के साथ इस अवसर का जश्न मनाना खुशी की बात है, जिनका काम इस ऐतिहासिक समझौते में परिलक्षित होता है।’’

बता दें कि अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने पिछले महीने अमेरिका के 46वें राष्ट्रपति के रूप में शपथ लेने के कुछ ही घंटे बाद कई महत्वपूर्ण कार्यकारी आदेशों पर हस्ताक्षर किए थे और वाशिंगटन द्वारा पेरिस जलवायु समझौते को फिर से स्वीकार करना नये राष्ट्रपति पद के पहले कदमों में से एक था। दिसंबर 2015 में पेरिस समझौते को स्वीकार किए जाने के समय केरी अमेरिकी विदेश मंत्री थे। प्रतीकात्मक भाव के तौर पर उन्होंने अप्रैल 2016 में संयुक्त राष्ट्र में संधि पर हस्ताक्षर किए थे। उसक समय उनके साथ उनकी पोती भी साथ थी।

संयुक्त राष्ट्र प्रमुख ने बृहस्पतिवार को एक संवाददाता सम्मेलन में आगाह किया कि यदि देशों ने अपने को नहीं बदला तो ‘‘हम इस शताब्दी में तीन डिग्री से अधिक तापमान के विनाशकारी वृद्धि का सामना कर सकते हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हमें बहुत देर नहीं हुई है, लेकिन हमें यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि हम सक्षम हों, न केवल अगले दशक के दौरान उत्सर्जन में भारी कमी के लिए स्थितियां बनाने के लिए बल्कि 1.5 डिग्री की सीमा को प्राप्त करना संभव बनाने के लिए।’’ संयुक्त राष्ट्र प्रमुख ने कहा कि इस वर्ष संयुक्त राष्ट्र के लिए एक केंद्रीय उद्देश्य 2050 तक शुद्ध-शून्य उत्सर्जन के लिए वास्तव में वैश्विक गठबंधन बनाना है।