लखनऊ। ये चुनावी बेला है। यहां न तो सिद्धांत पर बात हो सकती है और न ही चाल चरित्र पर। चुनावी रण में हर कुछ जायज मानने की परंपरा रही है। उत्तर प्रदेश के योगी सरकार में शामिल रहे कैबिनेट मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य ने राज्यपाल को अपना इस्तीफा दिया और तुरंत समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव के साथ जा मिले। हालांकि, इसके कयास कुछ दिन पहले से ही लगाए जा रहे थे। राज्य की सियासी गलियारों में चर्चा जोरों पर है कि बहुत जल्द कुछ और नेता इधर से उधर होंगे।
भाजपा छोड़कर सपा में जाने के बाद स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि मैंने दलितों, पिछडों, किसानों, बेरोजगार नौजवानों, छोटे, लघु, मध्यम व्यापारियों के खिलाफ सरकार के रवैये को देखते हुए उत्तर प्रदेश सरकार के मंत्रिमंडल से इस्तीफा दिया। मैं राजनीतिक व्यक्ति हूं तो किसी न किसी राजनीतिक पार्टी से वार्ता करनी ही होगी। हम किस से बात करेंगे ये हम अपने कार्यकर्ताओं, समर्थकों से बात करने के बाद तय करेंगे।
समाजवादी पार्टी के मुखिया और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने स्वामी प्रसाद मौर्य का अपनी पार्टी में स्वागत किया और कहा कि बाइस में बदलाव होगा।
सामाजिक न्याय और समता-समानता की लड़ाई लड़ने वाले लोकप्रिय नेता श्री स्वामी प्रसाद मौर्या जी एवं उनके साथ आने वाले अन्य सभी नेताओं, कार्यकर्ताओं और समर्थकों का सपा में ससम्मान हार्दिक स्वागत एवं अभिनंदन!
सामाजिक न्याय का इंक़लाब होगा ~ बाइस में बदलाव होगा#बाइसमेंबाइसिकल pic.twitter.com/BPvSK3GEDQ
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) January 11, 2022
इससे पहले स्वामी प्रसाद मौर्य ने राज्यपाल को दिए अपने इस्तीफा में कहा है- माननीय राज्यपाल, मैं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के मंत्रिमंडल में श्रम एवं सेवायोजन व समन्वय मंत्री के रूप में विपरीत परिस्थितियों व विचारधारा में रहकर भी बहुत ही मनोयोग के साथ उत्तरदायित्व का निर्वहन किया। दलितों, पिछड़ों, किसानों बेरोजगार नौजवानों एवं छोटे-लघु एवं मध्यम श्रेणी के व्यापारियों की घोर उपेक्षात्मक रवैये के कारण उत्तर प्रदेश के मंत्रिमंडल से मैं इस्तीफा दे रहा हूं।